भाकियू ने फर्जीवाड़े के खिलाफ मोर्चा खोला, कृषि विभाग में मची खलबली

जल्द ही कमिश्नर से मिलकर ज्ञापन सौंपेंगे भारतीय किसान यूनियन शंकर के जिलाध्यक्ष


 

बरेली। भूमि संरक्षण विभाग के ईमानदार अफसर (इनके पास कई तहसीलों के उप संभागीय कृषि प्रसार अधिकारी व मृदा परीक्षण का भी चार्ज है) और बाबू बुलेट राजा ने अपने सजातीय किसान को लगातार छह साल से शासन के नियम विरुद्ध सरकारी सब्सिडी खुद दी। दूसरे विभागों से भी सब्सिडी दिलाई गई। जबकि असली किसान सरकारी योजनाओं की सब्सिडी पाने से वंचित रहे। भारतीय किसान यूनियन (शंकर) ने कृषि विभाग के अफ़सर और बाबुओं के इस फर्जीवाड़े के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भाकियू जिलाध्यक्ष प्रताप सिंह ने ऐलान किया है कि वह इस मामले में मंडल आयुक्त से मिलकर घपलेबाज बाबू और अफसर की हफ्ते भर में जांच कराकर सख्त कार्रवाई और दी गई सब्सिडी की धनराशि की वसूली की मांग करेंगे।

 

भाकियू जिलाध्यक्ष प्रताप सिंह मौर्य ने बताया कि बरेली की तहसील सदर के गांव सिमरा बोनीपुर में रहने वाले तथाकथित किसान अपने नाम से कृषि विभाग से धान बीज, सरसों, जिंक सल्फेट, कीटनाशक, खर पतवार नाशक, गेंहू बीज, फॉर्म मिशनरी बैंक, उर्वरक, गर्मी कम्पोस्ट, अन्य उर्वरक, लेजर एंड लेबलर, धान बीज, माइक्रो कृषि रक्षक, अन्य संस्थाओं हेतु रसायन, बायो पेस्टिसाइड, कीटनाशक के अलावा परंपरागत खेती करने के नाम पर कई तरह के नाइट्रोजन, जीवा अमृत, बीजा अमृत और बेस्ट डी कंपोजर समेत कुल 24 तरह की सब्सिडी कृषि और कृषि रक्षा विभाग के अफ़सर और बाबुओं की छत्र छाया में अनाधिकृत तरीके से प्राप्त की। यह सरकारी सब्सिडी केवल कृषि विभाग की है, जो लगभग 10 लाख रुपए है। शासन के नियमों के हिसाब से एक किसान को किसी हाल में इतनी सब्सिडी नहीं मिल सकती। भाकियू जिलाध्यक्ष ने कहा कि उनके जैसे किसान को आज तक दस रूपये की सब्सिडी कृषि विभाग या कृषि रक्षा विभाग से नही मिली। आखिर कृषि विभाग के भ्रष्ट अफसरों और बाबुओं ने फर्जी तरीके से यह सब्सिडी एक व्यक्ति को कैसे दे दी। भारतीय किसान यूनियन ,(शंकर) कमिश्नर से मांग करेगी कि सप्ताह भर के अंदर इस प्रकरण की जांच पुरी करके तथाकथित फर्जी किसान को दी गई सब्सिडी की वसुली कराई जाए। इसमें संलिप्त बाबू बुलेट राजा और सत्यापन करने वाले कृषि विभाग के अफसरों को बर्खास्त किया जाए। भाकियू जिलाध्यक्ष ने चेतावनी दी कि उनकी मांगों पर स्थानीय प्रशासन ने अनाधिकृत तरीके से फर्जी किसान को दी गई सब्सिडी की वसूली नही हुई तो वह मुख्यमंत्री योगी जी से लखनऊ जाकर मिलेंगे और कृषि विभाग के अफसरों का काला चिट्ठा उनके सामने रखेंगे।

तीन साल में एक बार है सब्सिडी मिलने का नियम

कृषि समेत अन्य योजनाओं में शासन का नियम है कि किसान अपनी पात्रता साबित होने के बाद तीन साल में एक बार सरकारी सब्सिडी का लाभ ले सकता है। परिवार में अगर पति पत्नी दोनो के नाम जमीन है तो सरकारी सब्सिडी इनमे से केवल एक को ही मिल सकती है। अगर किसी किसान ने एक विभाग से सब्सिडी ले रखी है तो वह कृषि के अन्य सहयोगी विभाग जैसे गन्ना, उद्यान, मत्स्य, भूमि संरक्षण, कृषि रक्षा विभाग से दूसरी सब्सिडी नहीं ले सकता। अगर किसान का जांच में एक से अधिक बार सब्सिडी लेना पाया जाता है तो उससे न केवल लिए गए सरकारी धन की वसूली होगी बल्कि संबंधित विभाग उस पर धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज करा सकता है।

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