मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम को पाने के लिए मन और बुद्धि का समर्पण आवश्यक : आध्यात्मिक गुरु धर्मेंद्र कुमार 

भगवान श्री राम की भक्ति के साथ – साथ उनके चरित्र का अनुसरण जरूरी


बरेली। आने वाली 22 जनवरी को अयोध्या में नव निर्मित भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बनकर सामने आएगा। जब पूरा देश इसको एक महान उत्सव के रूप में मनायेगा। बहीं बीइंग स्प्रिचुअल फाउण्डेशन के संस्थापक तथा आध्यात्मिक गुरु धर्मेंद्र कुमार कहते हैं कि यह उत्सव सार्थक तभी होगा जब हम मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी के जीवन से कुछ सीख अपने जीवन में धारण करें। उनके अनुसार हमें रामायण जैसे पवित्र ग्रंथ का अध्यन करना चाहिए जिससे न केवल आध्यात्मिक विकास होता है अपितु आत्मा के स्वगुण जैसे प्रेम, करूणा, विनम्रता आनन्द और असीम शांति आदि प्रकट होते हैं और आपके जीवन में कितनी भी समस्या या विपत्ति क्यों न आए आप श्रीराम जी के तरह समभाव में रहते है तथा अपना धैर्य व चरित्र नहीं खोते हैं।

आध्यात्मिक गुरु धर्मेंद्र कुमार कहते हैं कि हो सकता है अभी कुछ समय तक आप अयोध्याधाम राम मंदिर के दर्शन को न जा पाएं, तो भी आप ध्यान के माध्यम से उनसे मिल सकते हैं। उसके लिए जरूरी है, तो श्री राम को पाने के लिए मन और बुद्धि का समर्पण एवं उनके गुणों को अपनाने की दृढ़ इच्छा। आध्यात्मिक गुरु धर्मेंद्र कुमार के अनुसार हम जिस भी चीज़ पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं उसके गुण हमारे अंदर अवश्य आते है। इसलिए हमें भगवान श्री राम की भक्ति के साथ-साथ उनके चरित्र का भी अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयोध्या में बन रहा मंदिर पुनः हमें श्री राम की शिक्षाओं की ओर लेकर जाएगा, जिससे समाज भी जाग्रत होगा और हम उनके द्वारा बताए मार्ग पर चल सकेंगे। लेकिन मंदिर स्थापना के साथ साथ जरूरत है, श्रीराम की शिक्षाओं को पढ़ने का। हर विद्यालय में श्री राम का व्यक्तित्व पढ़ाना अनिवार्य होना चाहिए, जिससे बचपन से ही उनकी शिक्षाओं को हर बच्चा आत्म सात कर अपनी नींव मजबूत कर सके।

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