एक सांसद की उम्र तो दो के बागी तेवर टिकट में लगा सकता है अड़ंगा

लोकसभा चुनाव 2024: पहली सूची में तीन सांसदों के नाम न होने से दिल की धड़कने बढ़ीं

बरेली। भाजपा की पहली सूची में लोकसभा के 195 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी गई। इसमें उत्तर प्रदेश से अधिकतर सांसद अपना टिकट बचाने में सफल हो गए। भाजपा हाईकमान ने रुहेलखंड मंडल की आंवला और शाहजहांपुर लोकसभा सीट से वर्तमान सांसद धर्मेंद्र कश्यप और अरुण कुमार सागर पर ही फिर से भरोसा जताया है। वहीं दूसरी ओर बरेली लोकसभा सीट से आठ बार के सांसद संतोष गंगवार का नाम पहली सूची में न होने से उनके समर्थकों के दिल की धड़कन बढ़ गई है। पीलीभीत के वर्तमान सांसद वरुण गांधी और बदायूं की सांसद संघमित्रा मौर्य के बागी तेवर उनके टिकट पर भारी पड़ सकते हैं। भाजपा तीनो लोकसभा सीटों पर नए प्रत्याशी उतारकर चौंका सकती है।
आंवला और शाहजहांपुर के सांसद भाजपा के टिकट पर दोबारा लड़ेंगे चुनाव
बरेली से आठ बार के सांसद और केन्द्र सरकार में कई बार मंत्री रह चुके संतोष गंगवार नौवीं बार भी अपना टिकट पक्का मानकर चल रहे हैं। उनके समर्थक भी पार्टी की पहली सूची में ही संतोष गंगवार का नाम होने की उम्मीद लगाए थे लेकिन जब भाजपा की दिल्ली मुख्यालय से 195 लोकसभा उम्मीदवारों की पहली लिस्ट आई तो आंवला से धर्मेंद्र कश्यप और शाहजहांपुर से अरुण कुमार सागर के नाम तो शामिल थे लेकिन संतोष गंगवार का नाम लोकसभा प्रत्याशी की लिस्ट में नहीं लिया गया। राजनितिक सूत्रों के अनुसार संतोष गंगवार नौवीं बार भी लोकसभा में जानें का सपना संजोए हुए हैं। वह अलग बात है कि उनकी उम्र और स्वास्थ्य दोनो भविष्य की राजनीति में उनका साथ नहीं दे रहे। भाजपा हाईकमान भी लोकसभा चुनाव में अपना गढ़ समझी जाने वाली सीटों पर नए चेहरों पर दांव लगाने की तैयारी में है।
इसके विपरीत पीलीभीत में वर्तमान भाजपा सांसद वरुण गांधी का नाम भी पहली सूची से गायब है। बताया जाता है कि बीते कुछ समय से उनके बागी तेवर होने से पार्टी असहज है। बीच में ख़बर आई थी कि उन्होंने दिल्ली में भाजपा के बड़े नेताओं से मिलकर सब कुछ ठीक कर किया है। इसलिए पीलीभीत में एक बार फिर से पार्टी उनको लोकसभा का चुनाव लड़ा सकती है। मगर, पहली सूची में वरुण गांधी का नाम न होने से इनकी उम्मीदवारी अधर में फंस गई है। वहीं बदायूं से वर्तमान सांसद संघमित्रा मौर्य के दोबारा लोकसभा का टिकट मिलने पर पेंच फंसा है। इसकी वजह हैं उनके पिता स्वामी प्रसाद मौर्य। पिछ्ले लोकसभा चुनाव में स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा से भाजपा में आए थे। तब वह बदायूं से अपनी बेटी संघमित्रा मौर्य को भी टिकट दिलाकर संसद पहुंचाने में सफल रहे। मगर, दो साल पहले हुए विधानसभा चुनावों में वह भाजपा छोड़कर सपा में चले गए। उस समय उनकी सासंद बेटी संघमित्रा ने भाजपा प्रत्याशी का विरोध करते हुए तत्कालीन सपा प्रत्याशी अपने पिता स्वामी प्रसाद मौर्य को विधानसभा का चुनाव लड़ाया था। संघमित्रा मौर्य के पिता स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा में रहकर समय समय पर रामचरित मानस, भगवान राम समेत सनातन धर्म पर भी विवादित टीका टिप्पणी की। अब हालांकि अब वह सपा में भी नहीं है। उन्होने अपनी नई पार्टी बनाई है। भाजपा की पहली सूची में संघमित्रा का नाम नहीं है। उनके टिकट पर फिलहाल तलवार लटक गई है।
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