10,000 के निर्धारित लक्ष्य में से अब तक 8000 से अधिक एफपीओ पंजीकृत हुए
1,101 एफपीओ को 246 करोड़ रुपये की गारंटीयुक्त क्रेडिट गारंटी जारी की गई, जिसमें 10.2 लाख से अधिक किसान शामिल हैं
New Delhi: देश में उपभोक्ताओं को अपनी उपज ऑनलाइन बेचने के लिए 8,000 पंजीकृत किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) में से लगभग 5 हजार को ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) पोर्टल पर पंजीकृत किया गया है। देश के किसी भी हिस्से में अपने खरीदारों तक पहुंचने के लिए ओएनडीसी पर एफपीओ को शामिल करना उत्पादकों को बेहतर बाजार पहुंच प्रदान करने के केंद्र सरकार के उद्देश्य के अनुरूप है। इस कदम का उद्देश्य इन किसान उत्पादक संगठनों की डिजिटल मार्केटिंग, ऑनलाइन भुगतान, बिजनेस-टू-बिजनेस और बिजनेस-टू-कंज्यूमर लेनदेन तक सीधी पहुंच को सशक्त बनाना है। 6,865 करोड़ रुपये के बजटीय प्रावधान के साथ वर्ष 2020 में शुरू की गई “10,000 किसान उत्पादन संगठनों (एफपीओ) का गठन और संवर्धन” नामक एक नई केंद्रीय क्षेत्र योजना के तहत 10,000 किसान उत्पादक संगठनों के निर्धारित लक्ष्य की तुलना में 8,000 से अधिक एफपीओ अब तक पंजीकृत किए गए हैं। इन एफपीओ में छोटे, सीमांत और भूमिहीन किसानों का एकत्रित होना, किसानों की आय बढ़ाने के लिए उनकी आर्थिक ताकत और बाजार संपर्क बढ़ाने में भी सहायता प्रदान करता है। एफपीओ किसानों को बेहतर गुणवत्ता वाली वस्तुओं का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से बेहतर प्रौद्योगिकी, ऋण, बेहतर इनपुट और अधिक बाजारों तक पहुंच की सुविधा प्रदान करते हैं।
एफपीओ को 3 वर्ष की अवधि के लिए प्रति एफपीओ 18.00 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। इसके अलावा, एफपीओ की संस्थागत ऋण तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए 15 लाख प्रति एफपीओ की सीमा के साथ एफपीओ के प्रति किसान सदस्यों को 2,000 रुपये तक मैचिंग इक्विटी अनुदान देने और पात्र ऋण देने वाली संस्थाओं से प्रति एफपीओ 2 करोड़ रुपये के परियोजना ऋण की क्रडिट गारंटी सुविधा का प्रावधान किया गया है। अभी तक, 10.2 लाख से अधिक किसानों को कवर करते हुए 1,101 एफपीओ को 246 करोड़ रुपये की गारंटीकृत क्रेडिट गारंटी जारी की गई है। 145.1 करोड़ रुपये का मैचिंग इक्विटी अनुदान पात्र 3,187 एफपीओ के बैंक खाते में सीधे हस्तांतरित कर दिया गया है।
कृषि को आत्मनिर्भर कृषि में परिवर्तित करने के लिए एफपीओ का गठन और प्रचार पहला कदम है। यह पहल किफायती उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने और एफपीओ के सदस्य की शुद्ध आय को बढ़ाती है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने के साथ-साथ ग्रामीण युवाओं के लिए उनके गांवों में ही रोजगार के अवसर पैदा होते हैं। किसानों की आय में उल्लेखनीय सुधार करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम था।
एफपीओ को उपज समूहों में विकसित किया जाना है, जिसमें पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं का लाभ उठाने और सदस्यों के लिए बाजार पहुंच को बेहतर बनाने के लिए कृषि और बागवानी उपज की खेती या उत्पादन किया जाता है। विशेषज्ञता और बेहतर प्रसंस्करण, विपणन, ब्रांडिंग और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए “एक जिला एक उत्पाद” क्लस्टर बनाए गए हैं। इसके अलावा कृषि मूल्य श्रृंखला संगठन एफपीओ का गठन कर रहे हैं और सदस्यों की उपज के लिए 60 प्रतिशत मार्केट लिंकेज सुविधा प्रदान कर रहे हैं।
योजना के प्रमुख उद्देश्य हैं:
- स्थायी आय-उन्मुख खेती के विकास और समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास और कृषि समुदायों के कल्याण के लिए 10,000 नए एफपीओ बनाने के लिए समग्र और व्यापक-आधारित सहायक इकोसिस्टम उपलब्ध कराना।
- कुशल, किफायती और सतत संसाधन उपयोग के माध्यम से उत्पादकता बढ़ाना और अपनी उपज के लिए बेहतर तरलता और बाजार जुड़ाव के माध्यम से अधिक आय प्राप्त करना और सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से टिकाऊ बनना।
- एफपीओ के प्रबंधन, इनपुट, उत्पादन, प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन, बाजार लिंकेज, क्रेडिट लिंकेज और प्रौद्योगिकी के उपयोग आदि सभी पहलुओं में सृजन के वर्ष से 5 साल तक नए एफपीओ को सहायता और समर्थन प्रदान करना।
- सरकार से समर्थन की अवधि के बाद आर्थिक रूप से व्यवहार्य और आत्मनिर्भर बनने के लिए कृषि-उद्यमिता कौशल विकसित करने के लिए एफपीओ को प्रभावी क्षमता निर्माण प्रदान करना।
- एफपीओ को या तो कंपनी अधिनियम के भाग 9ए के तहत या सहकारी समितियों के तहत पंजीकृत किया जा सकता है।
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