चालीस लाख रुपए का आनन फानन में ऑनलाइन भुगतान, लेखा अधिकारी ने भी दी स्वीकृति
बरेली। एक तरफ सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए तमाम प्रयास कर रही है तो वहीं दूसरी ओर कृषि विभाग के बाबू गिरीश ने अपनी हैंड राइटिंग में विभिन्न फर्मों के नाम से करोड़ों रुपए के फर्जी बिल काट दिए। 40 लाख के फर्जी बिलो को लेखा अधिकारी से स्वीकृत कराकर उनका फर्जी फर्मों को भुगतान भी करा दिया।
जिन फर्मों के खाते में गोलमाल करने के मकसद से 40 लाख रुपए भेजा गया है, उनमें दो फर्में तो कृषि विभाग के बाबुओं की हैं। डीएम को शिकायत होने के बाद इस मामले की जांच भी शुरू हो गई है। इससे कृषि विभाग में हड़कंप है।
किसानों के हित में चलने वाली आत्मा, एनएफएसएम खाद बीज सब्सिडी, कृषि यंत्रीकरण, किसान पाठशाला जैसी योजनाओं में बड़े स्तर पर लंबे समय से भ्रष्टाचार व्याप्त है। बिलवा स्थित डीडी कार्यालय में दो दशक से तैनात बाबू शिवकुमार और गिरीशचंद्र की प्रत्येक घपले में अहम भूमिका है। ताजा मामला कृषि यंत्रों की सब्सिडी के भुगतान में फर्जी बिल काटने का है। डिप्टी डायरेक्टर कृषि अभिनंदन सिंह के सबसे प्रिय और खास बाबू बाबू गिरीशचंद्र ने कृषि यंत्र और किसान गोष्ठी से संबंधित योजनाओं में विभिन्न फर्मों के नाम से करोड़ो रुपए के फर्जी बिल काट दिए। अधिकांश बिल बाबू की हैंड राइटिंग में कृषि यंत्र बेचने वाली एक ही दुकान के हैं। । जिन फर्मों के नाम से बिल काटे गए हैं, उनमें दो फर्में तो कृषि विभाग के बाबुओं की ही हैं। इनमें एक बाबू की तैनाती विकास भवन में है।
बाबुओं की दो फर्मों के नाम से फर्जी बिल काट कर 40लाख रुपए का आनन फानन में ऑनलाइन भुगतान भी करा दिया गया। यह रकम बाबुओं की फर्मों से निकालकर कृषि विभाग के अफसरों और कर्मचारियों ने बंदरबांट कर ली। इन दोनों बाबू की तैनाती बिलबा कृषि कार्यलय में 2002 से हैं
पिछली जांच में भी बाबू को बचाने के लिए डीडी ने की थी लीपापोती
पिछले महीने भी कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं में घपले से संबंधित शिकायत रजिस्टर्ड डाक से डीएम रविंद्र कुमार को भेजी गई थी। डीएम ने उस शिकायत की जांच सीडीओ जग प्रवेश को सौंपी थी। सीडीओ की ओर से डीडीओ दिनेश यादव को जांच दी गई। डीडीओ ने अगंभीरता दिखाते हुए यह जांच डिप्टी डायरेक्टर कृषि अभिनंदन सिंह को ही भेज दी जबकि घपला भी उनके अधीनस्थ ने ही किया था। डिप्टी डायरेक्टर कृषि ने अपने सबसे खास दोनो भ्रष्ट बाबुओं को बचाते हुए जांच के नाम पर खानापूरी करके आख्या भेज दी।
बिना भौतिक सत्यापन किए एक पक्षीय आख्या में उन बिन्दुओं को शामिल नहीं किया गया, जिसमें किसानों के प्रचार प्रसार की धनराशि जिला कृषि अधिकारी समेत बीज गोदाम प्रभारी और कुछ बाबुओं के स्वयं के खाते मे जिला सलाहकर एन एफ एस एम ने फर्जी बिल लगाकर भुगतान करा लिया गया था।
अफसरों ने खुद के खाते में ट्रांसफर करा ली सब्सिडी
डीएम को भेजी शिकायत में किसानों के हित मे प्रचार प्रसार की धनराशि जिला कृषि अधिकारी धीरेन्द्र चौधरी समेत बीज गोदाम इंचार्ज और कृषि विभाग के दर्जन भर कर्मचारियों ने अपने बैंक खाते में ट्रांसफर कर ली। इसके अभिलेख यूटीआर नंबर सहित संलग्न किए गए थे। मगर, डीडी की जांच में इन तथ्यों को नजरंदाज कर दिया गया।
बाबुओं के ऊपर डीडी की विशेष मेहरबानी
प्रगतिशील किसान प्रताप सिंह ने सीएम को भेजी शिकायत में बताया कि डिप्टी डायरेक्टर कृषि अभिनंदन सिंह अपने विभाग के भ्रष्ट बाबुओं को लंबे अरसे से प्रत्येक जांच में बचाते आए हैं। सीएम पोर्टल की शिकायतों पर भी वह एक पक्षीय मनमानी आख्या लगाकर शिकायतों के निस्तारण की खानापूरी करते हैं। आधिकांश मामलों में भ्रष्ट बाबुओं को क्लीनचिट मिल जाती है। उनसे निष्पक्ष जांच की उम्मीद भविष्य में नहीं है।
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