धर्म दर्शन। नहाए खाए के साथ चार दिनों का छठ महापर्व आज शुक्रवार से शुरू हो रहा है। त्योहार की पूर्व संध्या पर बाजारों में चहल पहल रही। लोगों ने पूजा संबंधी सामग्री के साथ ही , फल आदि की खरीदार की।
लोक आस्था का महापर्व छठ शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो रहा है। 18 नवंबर को खरना, 19 को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य और 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ चार दिनों के पर्व का समापन होगा। दीपावली व गोवर्धन पूजा के बाद चार दिवसीय छठ पूजा की तैयारियों में लोग दिनभर जुटे रहे। दुकानों पर पूर्वांचल के लोगों द्वारा खरीदारी करने को भीड़ जुटी रही। सबसे अधिक फलों की मांग रही। लोग पूजा के लिए छोटी से छोटी सामग्री जुटाने में लगे रहे। उनके द्वारा पीतल या बांस का सूप, साड़ी, गन्ना, नारियल, फल सहित पूजा संबंधी सामान की खरीदारी की गई।
साड़ियों की दुकान पर महिलाओं की भीड़ रही। उनके द्वारा चूड़ी, बिंदी सहित साज-सज्जा से संबंधित सामान को खरीदा गया। वहीं दूसरी ओर कछला गंगा घाट सहित अन्य स्थानों पर बिहार प्रांत के लोगों द्वारा वेदी की स्थापना की गई।
ज्योतिर्विद पंडित पवन कुमार मिश्रा ने बताया कि छठ व्रत रोगों से मुक्ति, संतान के सुख और समृद्धि में वृद्धि के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि सच्चे मन से व्रत रखने से मनोकामना जरूर पूरी होती है। जिसकी मनोकामना पूरी होती है, वह कोसी भरते हैं। बहुत से लोग घाटों पर दंडवत पहुंचते हैं।
नहाय खाय से होगा का होगा शुभारंभ
छठ महापर्व का आरंभ नहाय खाय से आरंभ होता है। नहाय-खाय के अंतर्गत व्रती महिलाएं नदी, तालाब आदि में जाकर स्नान करेंगी। घर आकर खाना बनाएंगी। खाने में कद्दू व चावल बनाया जाता है। श्रद्धालु इसे कद्दू भात कहते हैं। नहाय खाय के दिन अरवा चावल, चने की दाल एवं कद्दू की सब्जी बनाई जाती है। व्रतियों के प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही परिवार के अन्य लोग भोजन ग्रहण करते हैं।
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