एनटीपीसी ने बालिका सशक्तिकरण मिशन के नए संस्करण का शुभारंभ किया

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New Delhi: भारत की सबसे बड़ी एकीकृत बिजली कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड अपनी प्रमुख कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी पहल, बालिका सशक्तिकरण मिशन (जीईएम) का नया संस्करण लॉन्च करने की तैयारी कर रही है। यह कार्यक्रम भारत सरकार की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पहल के अनुरूप है और इसका उद्देश्य लड़कियों की कल्पनाओं को पोषित करके और अवसरों का पता लगाने की उनकी क्षमता को बढ़ावा देकर लैंगिक असमानता को मिटाना है। बालिका सशक्तिकरण मिशन गर्मी की छुट्टियों के दौरान युवा लड़कियों के लिए एक महीने की कार्यशाला के माध्यम से उन्हें उनके सर्वांगीण उत्थान और विकास के लिए एक मंच प्रदान करता है।

अप्रैल 2024 से शुरू जीईएम का यह नया संस्करण बिजली क्षेत्र के पीएसयू के 42 चिन्हित स्थानों पर समाज के वंचित वर्गों के लगभग 3,000 मेधावी बच्चों को जोड़ेगा। इसके साथ ही मिशन से लाभान्वित होने वाले बच्चों की कुल संख्या 10,000 से अधिक हो जाएगी।

2018 में केवल तीन स्थानों और 392 प्रतिभागियों के साथ एक प्रायोगिक परियोजना के रूप में शुरू किया गया यह जीईएम मिशन एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन के रूप में विकसित हुआ है। 2020 और 2021 में कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, इस कार्यक्रम ने अपनी पहुंच और प्रभाव का विस्तार जारी रखा है। अब तक, इससे कुल 7,424 लड़कियों को लाभ हुआ है। इसमें हर साल प्रतिभागियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अकेले 2023 में, भारत के 16 राज्यों में फैले एनटीपीसी के 40 स्थानों पर 2,707 लड़कियों ने कार्यशाला में भाग लिया।

यह मिशन विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से लड़कियों के सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करता है और इसका उद्देश्य उनके नेतृत्व गुणों की पहचान करना और उनका पोषण करना है, ताकि वे भविष्य के लिए तैयार हो सकें। इस साल की कार्यशाला स्वास्थ्य, स्वच्छता, सुरक्षा, फिटनेस, खेल और योग पर केंद्रित है।

बालिका सशक्तिकरण मिशन कार्यशाला में कौशल विकास, आत्मविश्वास-निर्माण और समग्र दृष्टिकोण के साथ परामर्श दिया जाता है जिसके लिए इसकी व्यापक प्रशंसा होती है। लड़कियों को आवश्यक उपकरणों से लैस करके और उन्हें हर वक्त मदद मुहैया कराते हुए एनटीपीसी का लक्ष्य आने वाली पीढ़ियों के लिए उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करना है। इसका उद्देश्य लड़कियों को बदलाव का वाहक बनने के लिए सशक्त बनाना है, जिससे वे न केवल खुद को बल्कि अपने परिवार, समुदाय और पूरे देश को भी प्रेरित कर सकें।

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