जज रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट ने सुनाया एक और ऐतिहासिक फैसला
दस साल पहले शहर के सुरेश शर्मा नगर स्थित आयकर विभाग के इंस्पेक्टर के घर में पड़ी थी डकैती
आयकर इंस्पेक्टर की मां, भाई और भाभी की डकैती के दौरान ईट पत्थर मारकर कर दी थी निर्मम हत्या
बरेली। शहर के पीलीभीत बाईपास रोड स्थित सुरेश शर्मा नगर में 10 साल पहले आयकर विभाग के इंस्पेक्टर के घर में घुसकर डकैती डालने के दौरान उनकी मां, भाई और भाभी की ईट पत्थर मारकर निर्मम हत्या कर दी गई थी। इस केस में स्पेशल जज फाॅस्ट ट्रैक कोर्ट रवि कुमार दिवाकर ने छैमार गिरोह में हसीन गैंग के 9 अपराधियों को दोषी माना है। फास्ट ट्रैक कोर्ट के स्पेशल जज रवि कुमार दिवाकर ने केस में अपना ऐतिहासिक निर्णय देते हुए 7 मार्च को 8 अपराधियों को फांसी की सजा सुनाई। एडीजीसी दिगम्बर पटेल ने कोर्ट के फ़ैसले की जानकारी देते हुए बताया कि वादी मुकदमा रविकान्त मिश्रा ने थाना बारादरी में तहरीर देकर बताया था कि वह सुरेश शर्मा नगर (25 ए पार्ट-3) के निवासी है और आयकर विभाग पीलीभीत में इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। 21 अप्रैल 2014 को सुबह 9 बजे वह घर से पीलीभीत चले गये थे। 23 अप्रैल 2014 की सुबह सूचना मिली कि परिजनों से मोबाइल पर संपर्क नहीं हो पा रहा है। वह पीलीभीत से अपने घर आये तो मेनगेट अंदर से बंद था। गैलरी में खिड़की खुली दिखायी दे रही थी।ग्रिल निकली हुई थी। छत का दरवाजा खुला था। जब उन्होंने पास के निर्माणाधीन मकान की छत से अंदर जाकर देखा तो मां पुष्पा की लाश सीढ़ियों के पास पड़ी थी। बेडरूम में भाई योगेश और उनकी पत्नी प्रिया की लाश पड़ी थी। घर का सारा सामान बिखरा पड़ा था।
पुलिस ने अज्ञात बदमाशों के विरुद्ध डकैती के बाद हत्या करने, आपराधिक षडयंत्र की गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर मामले की विवेचना की। इसमें ब्लॉक शेरगढ़ के कुड़ला नगरिया निवासी वाजिद, बिथरी चैनपुर डेरा उमरिया निवासी हसीन, यासीन उर्फ जीशान, नाजिमा, हाशिमा, लूट का माल खरीदने वाला सर्राफ व्यापारी शाहजहांपुर कोतवाली मोहल्ला चौक सदर कैंट निवासी राजू वर्मा, सम्भल निवासी समीर उर्फ साहिब उर्फ नफीस, बिथरी चैनपुर डेरा उमरिया निवासी जुल्फाम और फहीम समेत 9 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट भेजी थी। पुलिस ने विवेचना में पाया कि समस्त आरोपी पड़ोस के निर्माणाधीन मकान की छत से रात के समय घर में प्रवेश कर खिड़की की ग्रिल निकालकर घर में दाखिल हुए थे। गिरोह के बदमाशों ने उनकी बुजुर्ग मां के सिर पर ईंट मारकर उनकी हत्या कर दी। फिर भाई-भाभी को भी सब्बल और ईंट मारकर बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया ।
मुखबिर की सूचना पर पकड़े गए थे छै मार गिरोह के बदमाश
मई 2014 को मुखबिर से सूचना मिलने पर बिथरी के उमरिया गांव में नदी के किनारे स्थित डेरों पर पुलिस ने दबिश दी। इसमें एक पुरूष और दो औरतें मिलीं। पुलिस की तलाशी में उनके घर से चार चांदी के सिक्के बरामद हुए। बदमाश के पेंट की जेब से एक पर्स मिला। उसमें गुप्ता पौली क्लीनिक का पर्चा था। पर्चे में पुष्पा देवी का नाम ऊपर लिखा था। दूसरे कागज पर आयकर विभाग योगेश मिश्रा लिखा था। पुलिस को गिरोह की महिलाओं ने अपना नाम नाजिमा उर्फ कल्लो पत्नी हसीन और हाशिमा पत्नी यासीन बताया था। गिरोह के बदमाश ने अपना नाम वाजिद बताया था। पर्स को देखने पर विजय देव मिश्रा ने रोते हुए बताया कि यह तो उनके भाई योगेश का है। बदमाश वाजिद से पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ तो उसने अपना जुर्म कबूल कर लिया। इस तरह से पुलिस ने डकैती की घटना का खुलासा किया था। डकैत वाजिद ने बताया था कि छै मार गिरोह के बदमाश सब्बल के सहारे से खिड़की की ग्रिल हटाकर घर में घुसे थे।
बॉक्स डकैती की घटना से पहले बदमाशों ने की थी घर की रेकी
3 मई के समाचार पत्रों में जब मुल्जिमों के फोटो प्रकाशित हुए तो महिलाओं को पहचाना गया। हसीन, नाजिमा, हाशिमा और यासीन हत्या से पूर्व घर के आसपास सब्जी बेचने के बहाने इलाके में घूमते फिरते थे और आस पड़ोस के घरों की रेकी करते थे। इन बदमाशों ने रेकी करके घटना को अंजाम दिया था। महिलाओं की गवाही दोषसिद्ध करने का महत्वपूर्ण आधार बनीं। एडीजीसी दिगंबर पटेल ने बताया कि जघन्य हत्याकांड में शामिल छै मार गैंग के 8 बदमाशों को कोर्ट द्वारा फांसी की सजा सुनाई गई है। जबकि ज्वेलरी खरीदने वाले सराफ को उम्र कैद की सजा हुई है।
स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज रवि कुमार दिवाकर अपने ऐतिहासिक फैसलों के लिए जाने जाते हैं। हाल ही उनकी कोर्ट ने बरेली में वर्ष 2010/12 के दंगों का स्वतः संज्ञान लेते हुए आईएमसी अध्यक्ष मौलाना तौकीर रज़ा के भड़काऊ भाषणों को को जिम्मेदार माना था। इस मामले में में भी 11 मार्च को मौलाना तौकीर को समन जारी करके अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया है। इसके पहले जज रवि कुमार दिवाकर बनारस में ज्ञानवापी मस्जिद का ताला खोलकर परिसर का सर्वे करने का आदेश देकर चर्चा में आए थे। ऐसे ऐतिहासिक फैसले सुनाने के लिए जज रवि कुमार दिवाकर को धमकी भी मिल चुकी है। उसके बाद उनका तबादला बनारस से बरेली कर दिया गया था।
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