कषि विभाग घोटाला: सहायक लेखाधिकारी ने निकाले सारे हल, प्रशासन तक मची हलचल..

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पत्र लिखने के बाद हरकत में आए अफसर, डिप्टी डायरेक्टर से मांगा जवाब

कृषि विभाग के उच्च स्तरीय अधिकारी ने बनाई जांच कमेटी, डिप्टी डायरेक्टर कार्यालय के स्टाफ में हड़कंप


बरेली। कृषि विभाग में गहरे तक व्याप्त भ्रष्टाचार का हल इसी विभाग में कार्यरत सहायक लेखाधिकारी ने उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर निकाल दिया है। उनके पत्र से न केवल कृषि विभाग बल्कि प्रशासन तक खलबली मच गई है। विकास भवन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने डिप्टी डायरेक्टर कृषि अभिनंदन सिंह से इस मुद्दे पर जबाव मांगा है। वहीं दूसरी ओर कृषि विभाग के एक उच्च स्तरीय अधिकारी ने भी इस मसले पर अलग से जांच कमेटी बना दी है। कृषि विभाग के सहायक लेखाधिकारी ने मझगवां, बिथरी चैनपुर और फतेहगंज पश्चिमी में हुए कलस्टर प्रदर्शन को फर्जी बताकर उनके बिल वापस कर दिए थे। उन्होंने यह आरोप लगाया था कि भूमि सरंक्षण अधिकारी संजय सिंह उन पर दबाव बनाकर फर्जी बिल पास कराना चाहते हैं।

कृषि विभाग की आत्मा योजना, कृषि सूचना तंत्र, किसान पाठशाला, सीडीपी, एनएफएसएम, कृषि यंत्रीकरण, खाद बीज सब्सिडी, किसान मेला, कृषि गोष्ठी समेत केंद्र और राज्य सरकार की अन्य योजनाओं में भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी हैं। डिप्टी डॉयरेक्टर कार्यालय में 23 साल से जमे बाबू गिरिश की इसमें अहम भूमिका है। इससे पहले इनके साथी शिवकुमार भी कृषि यंत्रीकरण, स्थापना जैसी योजनाओं के पटल डेढ़ दशक तक देखे। पिछ्ले साल विधायक की शिकायत पर हुई जांच के बाद शासन ने इनका तबादला सिद्धार्थ नगर कर दिया था। लेकिन निदेशालय से सांठगांठ करके यह न केवल अपना ट्रांसफर बदलवाने में सफल रहे बल्कि डिप्टी डायरेक्टर कृषि कार्यालय के अंदर ही मृदा परीक्षण में जम गए। सूत्रों के अनुसार बाबू शिवकुमार अब भी मृदा परीक्षण का काम नाममात्र को ही करते हैं। डिप्टी डॉयरेक्टर की कृपा से यह पुरे दिन उनके कार्यालय में ही अपने घनिष्ठ मित्र गिरिश के साथ ही बैठते हैं। अप्रत्यक्ष रूप से यह डिप्टी डायरेक्टर कृषि के मलाईदार पटल के काम अब भी निपटाते देखे जाते हैं। कृषि विभाग के सूत्रों के अनुसार डिप्टी डायरेक्टर कृषि के बाबू ने आत्मा योजना के 40 लाख के पुराने बिल लेखाधिकारी से स्वीकृत कराकर उनकी धनराशि बाबुओं के रिश्तेदारों के नाम पर बनी फर्म में ट्रांसफर कर दी। बाद मे इस धनराशि का बंदरबांट हो गया। इसी बीच कृषि विभाग के घपले की जांच शुरू हो गई तो लेखाधिकारी घबरा गए। उन्होने कृषि विभाग के फर्जी कलस्टर के बिल स्वीकृत नहीं किए।

भूमि सरंक्षण अधिकारी के बिल वापस किए, लिखा पत्र

कृषि विभाग के लेखा अधिकारी ने भ्रष्टाचार के मामलों की जांच शुरू होने के बाद भूमि संरक्षण अधिकारी संजय सिंह के लाखों रुपए के बिल यह कहकर वापस कर दिए कि वह फर्जी बिल किसी हाल में स्वीकृत नहीं करेंगे। इस मामले में उन्होंने अपने विभागीय उच्च अधिकारियों और प्रशासनिक अफसर को एक पत्र भी लिखा। उसमें उन्होंने कहा कि उन पर फर्जी बिल स्वीकृत करने का दबाव बनाया जा रहा है। कृषि विभाग में भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी हैं। इनका स्पेशल ऑडिट होना आवश्यक है। तभी कृषि विभाग में भ्रष्टाचार दूर हो सकेगा।

भूमि संरक्षण अधिकारी और डिप्टी डायरेक्टर आमने सामने

कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर अभिनंदन सिंह और भूमि संरक्षण अधिकारी संजय सिंह विभागीय बिलों की स्वीकृत के मुद्दे पर आमने-सामने आ गए हैं। एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के सामने इन दोनों का आपस में विवाद हो गया। भूमि संरक्षण अधिकारी ने वरिष्ठ प्रशासनिक अफ़सर से कहा कि डिप्टी डायरेक्टर कृषि के कार्यालय से उनके बिल पास नहीं हो रहे हैं । डिप्टी डायरेक्टर कृषि ने उनकी इस बात का विरोध किया तो दोनों में वाद विवाद शुरू हो गया। हालांकि प्रशासनिक अधिकारी ने दोनों को डांटकर चुप कराया और कहा कि भूमि संरक्षण विभाग के बिल स्वीकृत होने चाहिए।

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