एसपी सीतापुर पर धर्म परिवर्तन कराने का आरोप, एफआईआर की मांग

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उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) चक्रेश मिश्रा पर धर्म परिवर्तन कराने का गंभीर आरोप लगाया गया है। आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने डीजीपी उत्तर प्रदेश को एक पत्र भेजकर इस मामले में एफआईआर दर्ज करने और सीबीसीआईडी से जांच कराने की मांग की है।

क्या है पूरा मामला?

अमिताभ ठाकुर द्वारा भेजी गई शिकायत के अनुसार, ग्राम गढ़ी राव, थाना अटरिया, सीतापुर निवासी फतेहुद्दीन ने एसपी चक्रेश मिश्रा पर जबरन धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगाया है। फतेहुद्दीन का कहना है कि 16 दिसंबर 2024 को जब वे एसपी से मिलने गए थे, तो एसपी ने उन्हें अवैध असलहा मामले में जेल भेजने और उनके भाई पर रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम) लगाने की धमकी दी। इसके बाद, फतेहुद्दीन के अनुसार, एसपी ने उन्हें धर्म परिवर्तन करने के लिए मजबूर किया और पुलिस के माध्यम से उन्हें तीन घंटे तक एसपी कार्यालय के एक कमरे में बंद रखा। इस दौरान, राष्ट्रीय हिंदू शेर सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास हिंदू को बुलाकर फतेहुद्दीन से धर्म परिवर्तन कराया गया।

सीतापुर पुलिस का बयान

सीतापुर पुलिस ने इस आरोप को खारिज करते हुए अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक प्रेस नोट जारी किया। पुलिस ने कहा कि फतेहुद्दीन पर कई गंभीर आपराधिक मामले हैं और उनका लंबा आपराधिक इतिहास रहा है। पुलिस ने दावा किया कि 16 दिसंबर को फतेहुद्दीन एसपी से मिलने गए थे और फिर वहां से चले गए थे, लेकिन धर्म परिवर्तन की बात पूरी तरह झूठी है। पुलिस के अनुसार, फतेहुद्दीन ने खुद ही शाम को धर्म परिवर्तन करने का फैसला लिया था, और इस मामले में एसपी का कोई रोल नहीं था।

https://x.com/sitapurpolice/status/1870183305502658696?t=lQGuAei5xjuZHNKIx-WtEA&s=19

अमिताभ ठाकुर की मांग

अमिताभ ठाकुर ने इस मामले को बेहद गंभीर बताया है। उन्होंने कहा कि धर्म परिवर्तन से जुड़ी घटनाएं किसी भी स्थिति में छोटे नहीं होतीं, खासकर जब इसे पुलिस प्रशासन की भूमिका में दबाव डालकर कराया जाता है। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनाए गए “उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म समपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021” का उल्लेख करते हुए कहा कि इस अधिनियम की धारा 5 के तहत अगर किसी को डर या दबाव देकर धर्म परिवर्तन कराया जाता है, तो यह अपराध है और इसमें 20 साल तक की सजा हो सकती है।

ठाकुर ने कहा कि इस मामले में आरोप गंभीर हैं और इसकी सत्यता को बिना एफआईआर और विवेचना के नहीं जानचा जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान राजनीतिक माहौल में प्रदेश में ऐसे गंभीर आरोपों को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है।

कानूनी पहलू

ठाकुर ने अपनी शिकायत में यह भी उल्लेख किया है कि धर्म परिवर्तन से जुड़ा यह मामला उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनाए गए धर्म परिवर्तन विरोधी कानून के तहत आता है, जो बेहद गंभीर मामला है। उनका कहना है कि फतेहुद्दीन द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के बिना आरोपों को खारिज नहीं किया जा सकता, और इस मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच की जरूरत है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदेश में विभिन्न पुलिस अधिकारी ऐसे मामलों में सत्ता और प्रभाव के गलत इस्तेमाल को बढ़ावा दे रहे हैं, खासकर जब वह सत्ता में बैठे अधिकारियों को खुश करने की कोशिश कर रहे होते हैं।

क्या है आगे की स्थिति?

अमिताभ ठाकुर ने डीजीपी से यह अनुरोध किया है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत एफआईआर दर्ज कर इस मामले की सीबीसीआईडी से जांच कराई जाए। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि यदि इस आरोप में कोई सच्चाई है तो यह न केवल एक बड़ा अपराध होगा, बल्कि प्रदेश के लोगों के विश्वास को भी चोट पहुंचाएगा। यह मामला न केवल पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाता है, बल्कि धर्म परिवर्तन से जुड़ी राजनीति और प्रशासन के संभावित दुरुपयोग पर भी प्रकाश डालता है। अब यह देखना होगा कि यूपी पुलिस इस मामले में किस दिशा में कार्रवाई करती है।

 

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