शास्त्री नगर में हुई सरस काव्य गोष्ठी, कवियों ने दी शानदार प्रस्तुतियाँ

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बरेली। कवि गोष्ठी आयोजन समिति, बरेली द्वारा शास्त्री नगर में एक सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस आयोजन का संयोजन डॉ रेनू श्रीवास्तव ने किया, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार रणधीर प्रसाद गौड़ ‘धीर’ ने की। मुख्य अतिथि के रूप में कवि गजेंद्र सिंह और विशिष्ट अतिथि राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त चित्रकार डॉ महेंद्र कुमार सक्सेना मौजूद रहे।

कार्यक्रम की शुरुआत माँ शारदे के चित्र पर माल्यार्पण से हुई। इसके बाद, कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

डॉ सुचित्रा डे ने अपनी रचना “सबने तो मरा मान ही लिया मुझे, पर बाखुदा अभी बेशक मैं जिंदा हूं” प्रस्तुत की।

डॉ रेनू श्रीवास्तव ने अपनी रचना “काश मैं सपने में होती उनकी सुनती अपनी कहती, काश मैं सपने में होती” सुनाई।

गीतकार उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट ने गीत “आज जो तलवे किसी के चाट कर सहला रहा है, जिंदगी में वह सफलतम आदमी कहला रहा है” प्रस्तुत किया।

राज शुक्ल गजल राज ने अपनी ग़ज़ल में “आएगा भूचाल धरती टिक नहीं पाएगी तब, राज जब माँ रोएगी तो हर दुआ रुक जाएगी” सुनाकर दर्शकों को गहरे विचार में डाला।

दीपक मुखर्जी दीप ने भावुक होते हुए अपनी रचना “मेरे प्यारे मित्र अब्दुल अब तुम, क्यों बदल से गए हो, लौट आओ पुराने आंगन में, मां और अम्मी तुम्हारा इंतजार करती है” सुनाई।

कवि अमित मनोज ने अपनी रचना “आई है अकल जब से सुनो रस्मो- रिवायत की, बिना मतलब किसी के हम कभी यूँ घर नहीं जाते” से सबको सोचने पर मजबूर कर दिया।

इस दौरान कवियों ने अपने अनूठे अंदाज में काव्य प्रस्तुतियाँ दीं और कार्यक्रम में उपस्थित श्रोताओं का दिल जीत लिया। कार्यक्रम का संचालन मनोज दीक्षित टिंकू ने किया। समारोह में संस्था के सचिव उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट, संयोजिका डॉ रेनू श्रीवास्तव, विनीत सक्सेना, शैलेंद्र कुमार श्रीवास्तव, दीपक मुखर्जी दीप, डॉ सुचित्रा डे, राज शुक्ल गजल राज, अमित मनोज, संजय सक्सेना, हरिकांत मिश्र चातक, ए.के. सिंह तन्हा, उमेश अद्भुत, रामकुमार भारद्वाज अफरोज, राम प्रकाश सिंह ओज, रामधनी निर्मल, अमन श्रीवास्तव, राजकुमार अग्रवाल, और रीतेश साहनी समेत कई साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।

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