32 लाख का पैकेज छोड़ साध्वी बनेगी सॉफ्टवेयर इंजीनियर, 3 दिसंबर को लेंगी जैन दीक्षा

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अजमेर। एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने भौतिक सुख-सुविधाओं से परे जाकर आध्यात्मिकता के मार्ग को चुना। बेंगलुरु की मशहूर मल्टीनेशनल कंपनी में 32 लाख रुपये सालाना के पैकेज पर काम कर रहीं 28 वर्षीय हर्षाली ने अपनी नौकरी छोड़कर जैन साध्वी बनने का निर्णय लिया है।

हर्षाली, जो एक ऑटोमोबाइल पार्ट्स बिजनेसमैन की बेटी हैं, आगामी 3 दिसंबर को अजमेर के आराधना भवन में भव्य समारोह के दौरान जैन दीक्षा लेंगी। इस अवसर पर जैन समाज ने उनके सम्मान में एक शानदार वरघोड़ा (जुलूस) निकाला, जिसमें ढोल-नगाड़ों की गूंज और फूलों की वर्षा के बीच हर्षाली का स्वागत किया गया।

जुलूस के दौरान शहरभर में लोग उनके इस अद्वितीय फैसले की सराहना करते नजर आए। समारोह में समाज के लोगों ने उन्हें माला पहनाकर और शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया।

आध्यात्मिकता की ओर बढ़ते कदम

हर्षाली ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में अपने करियर में बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं, लेकिन उनके मन में हमेशा आध्यात्मिक जीवन की ओर झुकाव रहा। जैन धर्म के सिद्धांतों और त्याग के मार्ग ने उन्हें इतनी प्रेरणा दी कि उन्होंने सांसारिक जीवन और सुख-सुविधाओं को त्यागने का साहसिक फैसला लिया।

समाज के लिए प्रेरणा

आज के युग में, जब अधिकांश युवा अपने करियर, पैसा और भौतिक साधनों की ओर आकर्षित होते हैं, हर्षाली का यह कदम एक नई दिशा और प्रेरणा प्रदान करता है। उनका यह निर्णय यह साबित करता है कि जीवन का असली उद्देश्य भौतिकता से परे जाकर आत्मिक शांति और संतुलन को प्राप्त करना है। जैन समाज और परिवार के सदस्यों ने हर्षाली के इस निर्णय की सराहना करते हुए इसे एक मिसाल बताया। उनका मानना है कि हर्षाली का यह त्याग और समर्पण न केवल समाज बल्कि युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है।

3 दिसंबर को होने वाले दीक्षा समारोह में बड़ी संख्या में लोग शामिल होंगे, और यह दिन न केवल हर्षाली बल्कि जैन समाज के इतिहास में भी यादगार बन जाएगा।

 

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