वक्फ संपत्ति विवाद: सरकारी जमीन को निजी बनाने का बड़ा खेल

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अयोध्या/सोहावल (विशेष संवाददाता): सोहावल में एक बड़ा वक्फ संपत्ति विवाद सामने आया है, जहां सरकारी जमीन को निजी संपत्ति में बदलने का मामला उभरकर आया है। आरोप है कि इस साजिश में बड़े राजनेता और अफसर शामिल हैं, जिन्होंने मिलकर वक्फ बोर्ड की जमीन को अवैध तरीके से निजी करार देने का प्रयास किया।

क्या है मामला?

दरगाह के नाम पर दी गई यह जमीन ऐतिहासिक रूप से राजशाही जमीन मानी जाती है, जो धर्मार्थ कार्यों और समाज के हित में समर्पित की गई थी। वक्फ बोर्ड का दावा है कि यह जमीन वक्फ की है और इसे किसी भी निजी उपयोग के लिए बेचा नहीं जा सकता। इसके बावजूद, जमीन कारोबारी ने कथित रूप से अवैध प्लॉटिंग कर जमीन को बेच दिया।

राजस्व विभाग की भूमिका पर सवाल

मामले में राजस्व विभाग की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। आरोप है कि वक्फ बोर्ड के नोटिस के बावजूद, राजस्व अमले ने बिना उचित जांच के अपनी रिपोर्ट जमीन कारोबारी के पक्ष में तैयार कर दी। ऐसा तब हुआ, जब जमीन कारोबारी ने सिविल कोर्ट में याचिका दायर कर स्टे ले रखा था।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का संदर्भ

सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में स्पष्ट किया है कि वक्फ संपत्ति का दान करने वाले को इस्लाम के सिद्धांतों में विश्वास रखना चाहिए, भले ही वह धर्म से मुसलमान न हो। सोहावल राजा का यह दावा किया जा रहा है कि उन्होंने अपनी आस्था के तहत यह जमीन दरगाह के लिए दी थी। वहीं वक्फ बोर्ड का कहना है कि यह जमीन सार्वजनिक उपयोग के लिए थी और इसे निजी बनाने का प्रयास गैर-कानूनी है। बोर्ड के मुताबिक, एक षड्यंत्र के तहत इस जमीन को निजी संपत्ति दिखाकर बेचा गया। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि वक्फ संपत्ति से जुड़े मामलों में गहन जांच और कानूनी प्रक्रिया का पालन होना चाहिए। यदि वक्फ बोर्ड के दावे सही साबित होते हैं, तो यह एक गंभीर अनियमितता का मामला होगा।

मामला फिलहाल सिविल कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन जमीन विवाद से जुड़े तथ्यों और अधिकारियों की भूमिका पर कड़ी नजर रखी जा रही है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि न्यायिक प्रक्रिया इस मामले में क्या निष्कर्ष निकालती है और क्या सार्वजनिक जमीन को अवैध तरीके से निजी बनाने की कोशिशों पर लगाम लगाई जा सकेगी।

 

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