बुलन्दशहर। पूर्व राष्ट्रपति डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाये जाने के क्रम में कलेक्ट्रेट सभागार में शिक्षक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह में जिलाधिकारी चन्द्र प्रकाश सिंह ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलित कर एवं माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
इस अवसर पर शिक्षकों द्वारा सर्वाधिक नामांकन ,सर्वाधिक उपस्थिति ,खेल, योग ,कला क्राफ्ट, शैक्षिक उन्नयन, राष्ट्रीय आय छात्रवृत्ति परीक्षा के चयन, नवभारत साक्षरता, शारदा कार्यक्रम, महिला सशक्तिकरण, समेकित शिक्षा एवं एस्ट्रोनोमी लैब तथा निपुण भारत मिशन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले बेसिक शिक्षा विभाग के 83 अध्यापकों एवं माध्यमिक शिक्षा के 20 अध्यापकों को प्रमाण पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया।
जिलाधिकारी ने कार्यक्रम में संबोधित करते हुए सभी उपस्थित जनों को शिक्षक दिवस की बधाई देते हुए कहा कि गुरू का स्थान सर्वोपरि है। शिक्षक द्वारा बच्चों के जीवन को संवारने एवं उसे सही मार्ग पर चलने के लिए उसका मार्गदर्शन किया जाता है जिससे बच्चों के द्वारा कड़ी से कड़ी परिस्थितियों को आसानी से पार कर लिया जाता है। उन्होंने कहा कि आज का दिवस गुरूओं के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए ही मनाया जाता है। उन्होंने शिक्षकां से कहा कि बच्चों के भविष्य को संवारने एवं उन्हें सही मार्ग पर अग्रसर करने के लिए अपने बच्चों की तरह ही शिक्षा प्रदान की जाये। स्वप्रेरणा से जनपद के शत प्रतिशत बेसिक विद्यालयों को स्मार्ट क्लास से सुसज्जित करने के लिए प्रशंसा करते हुए कहा कि शिक्षक यदि ठान लें तो कुछ भी असंभव नहीं है।
बच्चो को प्रेरित करने के लिए उन्हें मोटिवेशनल फिल्म, महापुरुषों की जीवनी इत्यादि से संबंधित विषय को दिखाया जाए। आज के डिजिटल युग में बच्चो को डिजिटल शिक्षा के बारे में भी बताए। जो भी एक्टीविटी विद्यालय में करते हैं उसे सोशल मीडिया पर भी प्रदर्शित करें जिससे अन्य अभिभावक भी प्रेरित होकर अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय में भेजे। सरकारी विद्यालय में सभी प्रकार की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। बच्चो के शिक्षण कार्य के लिए निशुल्क पुस्तके, ड्रेस, खाना आदि सरकार की ओर से निशुल्क दिया जाता है। विद्यालय में अध्यापक में अच्छे शिक्षा एवं प्रतिभावान है इसलिए यदि आप चाहे तो सरकारी विद्यालय में ऐसी शिक्षा दी जा सकती हैं जो प्राईवेट स्कूल में नहीं दी जा सकती। बच्चो को अपने बच्चे समझकर उन्हे शिक्षित करे। बेसिक शिक्षा के दौरान जो भी शिक्षा आप बच्चो को देंगे वह आगे चलकर उसी के अनुसार अपना जीवन संवारने में उसका प्रयोग करेगा। वह गुरू ही होता है जो किसी भी बच्चें में भेदभाव नहीं करते हुए सभी को समान शिक्षा प्रदान करता है। गुरू एवं शिष्य के बीच के संबंधों के बारे में विभिन्न प्रकार के उदाहरण देते हुए कहा कि यह गुरूओं का ही सम्मान है कि एकलव्य द्वारा बिना किसी प्रश्न किये गुरू के द्वारा दान में अंगूठा मांगने पर अपने हाथ का अंगूठा काटकर समर्पित कर दिया गया था। हमारी संस्कृति में गुरू का दर्जा ईश्वर से बड़ा है। शिक्षक का स्थान समाज में अलग ही स्तर का है उन्हे सदैव सम्मान के भाव से ही देखा जाता है। शिक्षक अपने शिष्य का विकास एवं संस्कारित करने के लिए हर संभाव प्रयास एवं त्याग करता है।
जनपद बुलन्दशहर के अपने कार्य के प्रति समर्पित शिक्षकों को सम्मानित करते हुए मैं स्वयं को भी गौरवान्वित महसूस कर रहा हूॅं। जनपद बुलन्दशहर के ही आज अनेकों ऐसे व्यक्ति हैं जो यहां से शिक्षा प्राप्त कर देश-विदेश के विभिन्न कौने में अपने जनपद का नाम रोशन कर रहे हैं। किसी भी गुरू के लिए गर्व का पल होता है जब उसके द्वारा पढ़ाया गया बच्चा किसी ऊंचे शिखर पर पहुंचकर नाम रोशन करता है। कार्यक्रम में डीआईओएस विनय कुमार, बीएसए लक्ष्मी कांत पांडेय सहित विभिन्न विद्यालयों के शिक्षक उपस्थित रहे।
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