नाव में बैठकर घर लाए दुल्हन, खेतों के पानी से होते हुए पहुंचे घर

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भास्कर टुडे 

बदायूं। नरौरा से शुक्रवार को करीब 25 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया। जबकि रामगंगा का जलस्तर भी कुछ कम हो रहा है फिर भी दातागंज और हजरतपुर इलाके में सैकड़ों बीघा फसल जलमग्न हो चुकी हैं। सड़कें बंद हो गयी हैं। कई रोडों पर पानी भरा होने से आवागमन बंद हो गया है। उसहैत इलाके में गंगा ने विकराल रूप धारण कर लिया है।

 

शुक्रवार को नरौरा बैराज से गंगा में 25 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया। चार दिन पूर्व एक लाख 28 हजार क्यूसेक पानी गंगा में छोड़ा गया तो गंगा उफान पर आ गयी। कछला गंगा खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गयी। सहसवान और उसहैत इलाके में सैकड़ों एकड़ फसल जलमग्न हो गयीं। उसहैत इलाके के आधा दर्जन गांव पानी से घिर गए। हालांकि बाढ़ की स्थिति नहीं थी फिर भी अचानक बढ़ा हुआ पानी खेतों में भर जाने से फसलें जलमग्न हो गयीं। असमिया रफतपुर, बेहटी, जटा गांवों के पास तक पानी पहुंच गया। इन गांवों को जाने वाले रोडों पर भी पानी भर गया जिससे आवागमन बंद हो गया। इन गांवों की सैकड़ों एकड़ फसल जलमग्न हो गयीं।

 

उधर रामगंगा में तीन दिन से जलस्तर खतरे के निशान के आस पास पहुंच चुका है। जिससे इस इलाके में पानी ने विकराल रूप धारण कर लिया है। हजरतपुर से गढ़िया रंगीन को जाने वाली सड़क पर पानी भर जाने से इस रोड पर आवागमन बंद हो गया है। रोड के आस पास खेतों में खड़ी फसलें जलमग्न हो गयी हैं। इस इलाके में खड़ी फसलें चार दिन में नष्ट हो चुकी हैं। सड़कों पर अभी पानी कम नहीं हो रहा है। कुछ इलाकों से पानी घट चुका है। रामगंगा में आज पानी कम होने से आस के गांवों के लोगों ने राहत की सांस ली है। दातागंज इलाके के गांवों में पानी खेतों में भरा हुआ है। रामगंगा के आंचल से पानी कम होने से जिला प्रशासन ने भी राहत महसूस की है।

 

उधर हजरतपुर इलाके में बाढ़ की स्थिति विकराल रूप ले चुकी है। ऐसे में एक गांव में शादी कर दुल्हन ले जा रहे बारातियों को नाव का सहारा लेना पड़ा। दुल्हन को नाव पर बिठा कर पार करना पड़ा। वहीं अन्य बाराती भी नाव पर बैठ कर हजरतपुर तक पहुंचे।

 

हजरतपुर क्षेत्र के ग्राम शेरपुर में राम भरोसे की पुत्री सीता की बारात 11 जुलाई को आयी। शादी की सभी रस्में पूरी करने के बाद शुक्रवार को बारात की विदा की गयी। शेरपुर से हजरतपुर तक पांच किमी की तक बाढ़ का पानी भरा होने से बारातियों को नाव का सहारा लेना पड़ा। गांव के बाहर से दुल्हन बनी सीतो को नाव पर बिठा कर मायके वालों ने विदा किया। दुल्हन ने नाव पर बैठकर पांच किमी की दूरी तय की। बारातियों का कहना था कि कुछ लोग तो बाढ़ में तैर कर आए और कुछ लोग अपने वाहनों से किसी तरह हजरतपुर तक आए। बारात में आए लोगों को बाढ़ का सामना करना पड़ा।बारातियों ने हजरतपुर पहुंच कर राहत की सांस ली

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