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शेयर बाजार में ऐतिहासिक गिरावट: 28 साल में सबसे खराब दौर?

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शेयर बाजार में ऐतिहासिक गिरावट: 28 साल में सबसे खराब दौर?

भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिल रही है, जिससे निवेशकों में चिंता बढ़ गई है। सेंसेक्स 74,612.23 और निफ्टी 22,545.05 के स्तर पर पहुंच गया है। यह गिरावट पिछले 28 वर्षों में सबसे लंबी मंदी के रूप में देखी जा रही है। 1996 के बाद यह पहला मौका है जब भारतीय शेयर बाजार लगातार पांच महीनों से गिरावट के दौर में है।


गिरावट के प्रमुख कारण:

1. विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली

  • सितंबर 2024 से अब तक विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भारतीय शेयर बाजार से लगभग $25 बिलियन (₹2 लाख करोड़ से अधिक) की निकासी कर ली है।
  • वैश्विक मंदी की आशंका और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरें ऊंची बनाए रखने की नीति के कारण विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।

2. वैश्विक अर्थव्यवस्था और अमेरिकी टैरिफ का दबाव

  • अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कनाडा और मैक्सिको से आयात पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है।
  • इस फैसले से वैश्विक बाजारों में चिंता बढ़ी है और इससे भारतीय निर्यातकों और आईटी कंपनियों पर भी असर पड़ा है।
  • वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका के कारण निवेशक सतर्क हो गए हैं।

3. ब्याज दरों में बढ़ोतरी का दबाव

  • भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने महंगाई को काबू में रखने के लिए ब्याज दरें ऊंची बनाए रखी हैं।
  • महंगे लोन की वजह से NBFCs (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) और रियल एस्टेट सेक्टर में मंदी आई है।
  • कंपनियों को सस्ते कर्ज नहीं मिलने के कारण निवेश और विस्तार में कमी आई है।

4. मिड-कैप और स्मॉल-कैप स्टॉक्स में भारी गिरावट

  • निफ्टी स्मॉल-कैप 100 इंडेक्स में फरवरी में 13.2% की गिरावट, जबकि निफ्टी मिड-कैप 100 में 11.3% की गिरावट देखी गई।
  • छोटे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है और कई रिटेल निवेशक बाजार से बाहर निकल रहे हैं।

5. कमजोर कॉरपोरेट आय और अनिश्चितता

  • हाल ही में कई कंपनियों की तिमाही आय अनुमान से कम रही है।
  • वित्तीय क्षेत्र, आईटी, और फार्मा कंपनियों की कमजोर परफॉर्मेंस ने बाजार पर दबाव बढ़ाया है।

बाजार पर असर: निवेशकों की संपत्ति में $1 ट्रिलियन का नुकसान

  • पिछले पांच महीनों में भारतीय शेयर बाजार में 15% की गिरावट आई है।
  • निवेशकों की कुल संपत्ति में $1 ट्रिलियन (₹83 लाख करोड़ से अधिक) का नुकसान हुआ है।
  • केवल फरवरी 2025 में ही सेंसेक्स और निफ्टी में 5% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई।

क्या गिरावट और बढ़ेगी या बाजार संभलेगा?

संभावित सुधार के संकेत:

  • विश्लेषकों का मानना है कि अगर RBI ब्याज दरों में नरमी दिखाता है और विदेशी निवेशक वापस आते हैं तो बाजार में स्थिरता आ सकती है।
  • भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूत जीडीपी ग्रोथ (6.5% अनुमानित) और सरकारी नीतियां बाजार को सपोर्ट कर सकती हैं।
  • घरेलू निवेशकों (म्यूचुअल फंड्स, LIC आदि) की खरीदारी से बाजार में कुछ स्थिरता देखने को मिल सकती है।

आगे और गिरावट की आशंका:

  • कुछ विश्लेषकों का मानना है कि निफ्टी 50 मार्च 2025 में 21,800 – 22,900 के स्तर तक गिर सकता है
  • अगर ग्लोबल मंदी की आशंका बनी रहती है तो बाजार में और दबाव आ सकता है।

निवेशकों को क्या करना चाहिए?

✔ लॉन्ग-टर्म निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं – अच्छी कंपनियों के स्टॉक्स में निवेश बनाए रखें।
✔ छोटे निवेशकों को स्टॉप-लॉस सेट करना चाहिए – ताकि भारी नुकसान से बचा जा सके।
✔ फंडामेंटली मजबूत शेयरों पर फोकस करें – लार्ज-कैप कंपनियां इस गिरावट से उबर सकती हैं।
✔ मार्केट को बॉटम पकड़ने दें – जल्दबाजी में खरीदारी से बचें, बाजार में स्थिरता आने का इंतजार करें।


निष्कर्ष

भारतीय शेयर बाजार 28 साल की सबसे लंबी गिरावट के दौर से गुजर रहा है। कमजोर ग्लोबल संकेतों, उच्च ब्याज दरों, और विदेशी निवेशकों की बिकवाली के कारण बाजार में भारी दबाव है। हालांकि, लंबी अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती के कारण बाजार में सुधार की संभावना बनी हुई है। निवेशकों को सतर्क रहकर अपने फैसले लेने की जरूरत है।

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