बरेली: जिले में भ्रष्टाचार के बढ़ते मामलों के बीच कृषि विभाग से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक किसान से सरकारी योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी को पास कराने के बदले 5000 रुपए की रिश्वत मांगी गई। पीड़ित किसान चेतन्य प्रकाश, जो बरेली जिले के मझगवां ब्लॉक के ग्राम शिवनगर नौगांव के निवासी हैं, ने इस संबंध में जिलाधिकारी को लिखित शिकायत देकर न्याय की गुहार लगाई है।
क्या है पूरा मामला?
किसान चेतन्य प्रकाश ने केंद्र सरकार की ई-कृषि योजना के तहत कृषि विभाग से रोटावेटर खरीदने के लिए आवेदन किया था। इस योजना के तहत किसानों को सब्सिडी दी जाती है, ताकि वे उन्नत कृषि यंत्र खरीद सकें और खेती में आधुनिक तकनीकों का उपयोग कर सकें।
किसान के अनुसार, योजना के तहत उनका आवेदन स्वीकृत हो गया और कृषि विभाग ने निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार मशीन का सत्यापन भी कर दिया। 28 दिसंबर 2024 को निरीक्षण पूरा हुआ और सब्सिडी की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जानी थी। लेकिन सत्यापन के बाद भी, सब्सिडी की राशि उनके खाते में जमा नहीं की गई।
जब किसान ने सब्सिडी की जानकारी के लिए कृषि विभाग के अधिकारी कुलदीप सिंह से संपर्क किया, तो उन्हें उप कृषि निदेशक कार्यालय जाकर प्रखर सक्सेना से मिलने की सलाह दी गई।
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रिश्वत की खुली मांग
शिकायत में चेतन्य प्रकाश ने बताया कि जब उन्होंने उप कृषि निदेशक प्रखर सक्सेना से मुलाकात की, तो उन्होंने कहा कि “सरकारी सिस्टम से काम चलाना पड़ेगा।” इसके बाद उन्होंने खुलकर 5000 रुपए की रिश्वत की मांग की और संकेत दिया कि बिना पैसे दिए सब्सिडी पास नहीं होगी।
किसान ने आगे बताया कि जब उन्होंने पैसे देने से इनकार किया, तो अधिकारी ने देरी करने और सब्सिडी रोकने की धमकी दी।
शिकायत के बावजूद नहीं हुई कार्रवाई
घटना से परेशान होकर किसान ने कृषि निदेशक अभिनंदन सिंह से मुलाकात कर इस भ्रष्टाचार की शिकायत की। कृषि निदेशक ने मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रखर सक्सेना को बुलाकर स्पष्टीकरण मांगा।
हालांकि, इस बैठक के बाद भी किसान को कोई राहत नहीं मिली। कुछ दिनों बाद, जब चेतन्य प्रकाश फिर से कृषि विभाग गए, तो प्रखर सक्सेना ने उन्हें नाराजगी जताते हुए कहा कि “अगर सब्सिडी पास करानी है, तो 5000 रुपए देने ही होंगे।”
जिलाधिकारी से की शिकायत, कार्रवाई की मांग
इस पूरी घटना से परेशान होकर किसान चेतन्य प्रकाश ने 20 फरवरी 2025 को बरेली के जिलाधिकारी को एक लिखित शिकायत सौंपी। उन्होंने मांग की कि भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और बिना रिश्वत दिए उनकी सब्सिडी जारी की जाए।
किसान ने यह भी कहा कि सरकारी योजनाओं को आम किसानों तक पहुंचाने में इस तरह की रिश्वतखोरी सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया कि इस मामले की जांच कर दोषी अधिकारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में किसानों को इस तरह की समस्याओं का सामना न करना पड़े।
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अब आगे क्या होगा?
यह देखना दिलचस्प होगा कि बरेली प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं या नहीं। इस शिकायत के बाद, कृषि विभाग और प्रशासन की छवि पर भी सवाल उठने लगे हैं। अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला और भी तूल पकड़ सकता है।
अब किसान और जिले के अन्य किसान संगठन प्रशासन की कार्रवाई पर नजरें गड़ाए हुए हैं।
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