बरेली। केंद्र सरकार ने 17वीं लोकसभा (2019-2024) के दौरान बरेली और आंवला संसदीय क्षेत्रों में कराए गए विकास कार्यों की जांच शुरू कर दी है। इन कार्यों की गुणवत्ता और प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने के लिए थर्ड-पार्टी एजेंसी एफसी इंडिया लिमिटेड को नियुक्त किया गया है। इस जांच में लगभग 80 परियोजनाओं को शामिल किया गया है, जिसमें बरेली से 40 और आंवला से 40 विकास कार्य शामिल हैं।
रिपोर्ट की मांग: जिला ग्रामीण विकास अभिकरण (डीआरडीए) को इन परियोजनाओं का विस्तृत ब्योरा तैयार करने का निर्देश दिया गया है। रिपोर्ट में यह विवरण देना होगा:
सांसद निधि की किस्तें कब जारी हुईं।
किस वित्तीय वर्ष में कितने कार्य हुए।
कार्यों की श्रेणी, खर्च, और जिम्मेदार संस्थाएं।
परियोजना की शुरुआत और समाप्ति की तारीख।
इन कार्यों से जनता को कितना लाभ हुआ।
गुणवत्ता और पारदर्शिता पर फोकस:
जांच के दौरान यह सुनिश्चित किया जाएगा कि निर्माण कार्य सही ढंग से हुआ है या नहीं। परियोजनाओं की गुणवत्ता और स्थायित्व को परखा जाएगा। इसके अलावा, यह भी जांचा जाएगा कि आवंटित धनराशि का उपयोग प्रभावी ढंग से हुआ और जनता को कार्यों का सीधा लाभ मिला या नहीं।
2009 से 2024 तक का विवरण मांगा गया:
केंद्र सरकार ने 2009 से लेकर 2024 तक सांसद निधि से हुए सभी विकास कार्यों का ब्योरा भी मांगा है।
राजनीतिक हलचल: जांच को लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल मची हुई है। यदि किसी परियोजना में अनियमितता पाई जाती है तो जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई हो सकती है।
स्थानीय स्तर पर तैयारियां:
डीआरडीए के पीडी चंद्रप्रकाश श्रीवास्तव ने बताया कि रिपोर्ट तय मानकों के आधार पर तैयार की जा रही है। इस प्रक्रिया के लिए विभाग के सहायक अभियंता (एई) को नोडल अधिकारी नामित किया गया है। हालांकि, रिपोर्ट को लेकर स्थानीय अधिकारियों ने अधिक समय की मांग की है।
निगाहें जांच पर: यह जांच तय करेगी कि पूर्व सांसद संतोष गंगवार और धर्मेंद्र कश्यप के कार्यकाल में हुए विकास कार्य कितने पारदर्शी और जनता के हित में थे। जांच की रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा कि इन परियोजनाओं ने जनता के जीवन पर कितना सकारात्मक प्रभाव डाला।
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