दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों में नई दिल्ली सीट से आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हार का सामना करना पड़ा। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रत्याशी प्रवेश साहिब सिंह ने उन्हें 4,089 वोटों के बड़े अंतर से हराया। यह सीट अरविंद केजरीवाल के लिए प्रतिष्ठा का विषय थी, क्योंकि वह न केवल दिल्ली के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, बल्कि इस सीट पर उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती थी।
नई दिल्ली सीट का परिणाम
- प्रवेश साहिब सिंह (BJP): 30,088 वोट
- अरविंद केजरीवाल (AAP): 25,999 वोट
- मनीष चिब्बर (कांग्रेस): 4,685 वोट
- NOTA (इनमें से कोई नहीं): 314 वोट
अन्य दलों और निर्दलीयों का प्रदर्शन
अन्य पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा। बहुजन समाज पार्टी (BSP), भारतीय लिबरल पार्टी, राष्ट्रीय मानव पार्टी, और अन्य छोटे दलों के प्रत्याशियों को कुल मिलाकर नाममात्र के वोट मिले। उदाहरण के लिए:
- बहुजन समाज पार्टी (बिरेंद्र): 142 वोट
- डॉ. अनुजा कुमार यादवपाल (भारतीय लिबरल पार्टी): 76 वोट
- भावना (निर्दलीय): 11 वोट
- संतोष कुमार (राइट टू रिकॉल पार्टी): 30 वोट
यह आंकड़े बताते हैं कि इस चुनाव में मतदाताओं ने मुख्य रूप से भाजपा और आप के बीच चुनाव किया, जबकि अन्य दल प्रभावहीन साबित हुए।
केजरीवाल की हार और भाजपा की रणनीति
अरविंद केजरीवाल की हार को भाजपा के लिए एक बड़ी सफलता और आप के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। भाजपा ने इस चुनाव में दिल्ली में अपने पुराने गढ़ को फिर से हासिल करने के लिए व्यापक रणनीति बनाई। प्रवेश साहिब सिंह ने स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता दी और केंद्र की मोदी सरकार की योजनाओं को जनता के बीच भुनाया।
वहीं, केजरीवाल और आम आदमी पार्टी इस बार जनता का विश्वास जीतने में विफल रही। दिल्ली में AAP सरकार के कार्यों, जैसे मुफ्त बिजली-पानी और स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जनता के बीच नाराजगी देखी गई। इसके अलावा, पिछले वर्षों में AAP पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों और आंतरिक कलह का असर भी चुनाव परिणाम पर पड़ा।
अरविंद केजरीवाल का बयान
हार के बाद अरविंद केजरीवाल ने एक ट्वीट में कहा:
“मैं दिल्ली की जनता का आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने हमें इतने सालों तक सेवा करने का मौका दिया। हम जनता के फैसले को स्वीकार करते हैं और भाजपा को इस जीत के लिए बधाई देते हैं।”
केजरीवाल ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी हार के कारणों का विश्लेषण करेगी और भविष्य में जनता का विश्वास फिर से जीतने का प्रयास करेगी।
NOTA का प्रदर्शन और जनता की नाराजगी
इस चुनाव में एक दिलचस्प पहलू यह रहा कि “इनमें से कोई नहीं” (NOTA) को 314 वोट मिले, जो कई छोटे दलों और निर्दलीयों के वोटों से अधिक हैं। यह दर्शाता है कि कुछ मतदाता सभी उम्मीदवारों से असंतुष्ट थे।
दिल्ली की राजनीति पर असर
अरविंद केजरीवाल की हार का असर न केवल आप पर, बल्कि दिल्ली की राजनीति पर भी पड़ेगा। भाजपा इस जीत को राज्य में अपनी बढ़ती पकड़ के संकेत के रूप में देख रही है। दूसरी ओर, कांग्रेस का प्रदर्शन फिर से कमजोर रहा, जिससे वह दिल्ली की राजनीति में अप्रासंगिक होती दिख रही है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस हार के बाद AAP को अपनी नीतियों और चुनावी रणनीति पर गहराई से विचार करना होगा। यह चुनाव आने वाले लोकसभा चुनावों के लिए भी एक संकेत है, जहां दिल्ली की सीटें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
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