मंगलुरु: चेक बाउंस के दो मामलों में स्थानीय अदालत ने कड़ी कार्रवाई करते हुए दोषियों पर भारी जुर्माना लगाया है। अदालत ने दोषियों को सख्त हिदायत दी है कि जुर्माना न भरने पर उन्हें जेल की सजा भुगतनी होगी। आइए जानते हैं इन मामलों की पूरी कहानी और किन हालातों में चेक बाउंस की नौबत आती है।
पहला मामला:
मंगलुरु की अदालत ने ‘वी-5 टेक इंजीनियरिंग वर्क्स’ के मालिक नवीन आचार्य पर ₹3,03,000 का जुर्माना लगाया। नवीन ने प्राइम स्पोर्ट्स कंपनी से खेल उपकरण खरीदने के बाद चेक जारी किया था, लेकिन चेक बाउंस हो गया। कोर्ट ने कहा कि यदि जुर्माना नहीं भरा गया तो दोषी को तीन महीने की जेल होगी।
दूसरा मामला:
दूसरे मामले में अदालत ने निजामुद्दीन नामक व्यक्ति पर ₹1,02,000 का जुर्माना लगाया है। यह शिकायत चर्माडी गांव के पवन कुमार ने दर्ज कराई थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जुर्माना न भरने की स्थिति में निजामुद्दीन को छह महीने की सजा काटनी होगी।
क्यों बाउंस होते हैं चेक?
चेक बाउंस होने के कई कारण हो सकते हैं:
- खाते में पर्याप्त बैलेंस न होना।
- हस्ताक्षर मेल न खाना।
- गलत शब्दों का उपयोग या ओवरराइटिंग।
- चेक की वैधता खत्म हो जाना।
- जारीकर्ता का खाता बंद होना।
- चेक पर आवश्यक मुहर या प्रमाण न होना।
बैंक और कानूनी कार्रवाई:
- बैंक जुर्माना: चेक बाउंस होने पर बैंक चेक जारीकर्ता से जुर्माना वसूलता है। यह जुर्माना अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग हो सकता है।
- कानूनी अपराध: भारत में Negotiable Instrument Act, 1881 की धारा 138 के तहत चेक बाउंस एक दंडनीय अपराध है। दोषी को 2 साल की सजा या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
कब पहुंचता है मामला कोर्ट?
चेक बाउंस होने के बाद लेनदार को 30 दिनों के अंदर देनदार को नोटिस भेजना होता है। यदि 15 दिनों में देनदार कोई प्रतिक्रिया नहीं देता, तो लेनदार एक महीने के भीतर कोर्ट में शिकायत दर्ज करा सकता है। इसके बाद अदालत मामले की सुनवाई करती है।
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