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विद्युत संविदा कर्मचारियों के भविष्य पर संकट, नई नीति के खिलाफ संगठन ने जताया विरोध

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बरेली। विद्युत संविदा मजदूर संगठन, उत्तर प्रदेश ने डिस्कॉम (मध्यांचल विद्युत वितरण निगम) द्वारा जारी नई आउटसोर्सिंग नीति पर गंभीर आपत्ति जताई है। संगठन ने कहा है कि यह नीति हजारों संविदा कर्मचारियों और उनके परिवारों के जीवन को खतरे में डाल सकती है।

 

संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि बरेली मंडल में एलओआई संख्या 4052 के तहत आउटसोर्सिंग प्रक्रिया के जरिए संविदा कर्मियों की संख्या को 20 प्रतिशत तक कम करने की योजना बनाई गई है। इसका सीधा प्रभाव बरेली मंडल के हजारों संविदा कर्मचारियों पर पड़ेगा, जो पहले से ही कम वेतन और अस्थिर रोजगार की समस्या से जूझ रहे हैं।

 

कर्मचारियों के परिवारों पर पड़ेगा प्रभाव

 

संगठन के अनुसार, इस निर्णय से संविदा कर्मियों के जीवन पर व्यापक असर होगा। कई कर्मचारी लंबे समय से सेवा दे रहे हैं और अपने परिवारों की आजीविका के लिए इन नौकरियों पर निर्भर हैं। यदि उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाती हैं, तो उनके पास रोजगार का कोई अन्य साधन नहीं रहेगा।

 

संगठन ने उठाई पांच प्रमुख मांगें

 

विद्युत संविदा मजदूर संगठन ने इस मुद्दे पर अपनी पांच प्रमुख मांगें रखी हैं, जिनमें शामिल हैं:

 

1. नई आउटसोर्सिंग नीति को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाए।

संगठन ने इस नीति को संविदा कर्मियों के लिए विनाशकारी बताते हुए इसे लागू न करने की अपील की है।

 

2. संविदा कर्मचारियों को न्यूनतम 25,000/- रुपये वेतन दिया जाए।

संगठन का कहना है कि कर्मचारियों को वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार उचित वेतन मिलना चाहिए।

 

3. वर्तमान में कार्यरत संविदा कर्मियों की सेवाएं निरंतर जारी रहें।

संगठन का तर्क है कि वर्षों से सेवा दे रहे कर्मियों को हटाना न केवल गलत है, बल्कि उनके अधिकारों का हनन भी है।

 

4. पांच वर्षों से अधिक समय तक कार्यरत संविदा कर्मियों को नियमित किया जाए।

लंबे समय से सेवा देने वाले कर्मियों को स्थायी रोजगार का लाभ मिलना चाहिए।

 

5. संविदा कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 55 वर्ष से बढ़ाकर 58 वर्ष की जाए।

संगठन ने कहा कि कर्मचारियों को अधिक समय तक कार्य का अवसर मिलना चाहिए।

 

प्रमुख हस्ताक्षरकर्ता और पदाधिकारी

इस पत्र पर कई प्रमुख हस्ताक्षरकर्ताओं और पदाधिकारियों ने अपनी सहमति जताई है। इनमें शामिल हैं:

 

1. सुनील राय (प्रमुख)

2. नवकिशोर वर्मा (प्रधान अध्यक्ष)

3. सूरज सिंह (महामंत्री, पश्चिम)

4. राजेंद्र सिंह (महामंत्री, मध्यांचल)

5. सुनील गोस्वामी (महासचिव)

6. आसिफ खान (जिला प्रभारी, बरेली)

7. नरेश पाल सिंह (अध्यक्ष, बरेली जोन)

8. जहीर खान (जिलाध्यक्ष, बरेली)

9. राशिद हुसैन ( जिला महामंत्री बरेली)

 

आंदोलन की चेतावनी

 

संगठन के पदाधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया, तो वे आंदोलन करने पर विवश होंगे। उन्होंने कहा कि यह केवल संविदा कर्मियों के रोजगार का नहीं, बल्कि उनके जीवन और उनके परिवारों के अस्तित्व का सवाल है।

 

संगठन के महासचिव सुनील गोस्वामी ने कहा, “यह फैसला न केवल कर्मचारियों को बल्कि पूरे विद्युत वितरण तंत्र को प्रभावित करेगा। यदि यह आदेश वापस नहीं लिया गया, तो संगठन आंदोलन करेगा और अपनी लड़ाई जारी रखेगा।”

 

सरकार और विभाग से अपील

 

संगठन ने मध्यांचल विद्युत वितरण निगम और उत्तर प्रदेश सरकार से अपील की है कि वे इस मामले में हस्तक्षेप करें और नई नीति को तुरंत प्रभाव से रद्द करें।

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