महाकुंभ में तप करने पहुंची Apple के संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी को मिला नया नाम ‘कमला’ 

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प्रयागराज: महाकुंभ मेला 2025, जो हर 12 वर्षों में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित होता है, इस बार एक अप्रत्याशित और रोचक मोड़ लेता हुआ दिख रहा है। Apple के सह-संस्थापक, दिवंगत स्टीव जॉब्स की पत्नी, लॉरेन पॉवेल जॉब्स, इस महान आध्यात्मिक उत्सव में एक नए नाम, ‘कमला’, से शामिल होने जा रही हैं।

 

‘कमला’ का उद्भव: लॉरेन पॉवेल जॉब्स, जो अब ‘कमला’ के रूप में पहचानी जाएंगी, ने सनातन धर्म की गहन समझ और अनुभव के लिए यह नाम अपनाया है। यह नाम उन्हें स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज ने दिया है, जो निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर हैं। ‘कमला’ नाम से, वे न सिर्फ एक नई पहचान बना रही हैं बल्कि सनातन धर्म के गहरे दार्शनिक और आध्यात्मिक पहलुओं को भी अपनाने का प्रयास कर रही हैं।

 

वाराणसी से महाकुंभ का सफर: लॉरेन अपने 60 सदस्यीय दल के साथ वाराणसी में रुकी हुई हैं जहाँ उन्होंने विश्व प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन किए। यहाँ से, उनका अगला पड़ाव प्रयागराज होगा, जहाँ वे महाकुंभ की आध्यात्मिक और धार्मिक गतिविधियों में शामिल होंगी। उनकी यात्रा का लक्ष्य सिर्फ तपस्या ही नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म के विविध पहलुओं को समझना है।

 

महाकुंभ में तप और स्नान: प्रयागराज पहुँचने के बाद, लॉरेन, अब कमला के रूप में, एक सप्ताह तक ‘कल्पवास’ करेंगी। इस दौरान वे सादगी, आत्म-नियंत्रण और ध्यान के साथ जीवन व्यतीत करेंगी। वे महाकुंभ के महत्वपूर्ण शाही स्नानों में भाग लेंगी, जिसमें मकर संक्रांति (14 जनवरी) और मौनी अमावस्या (29 जनवरी) के स्नान शामिल हैं। इन स्नानों को आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

 

सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व: महाकुंभ मेला मानवता के सबसे बड़े धार्मिक समागमों में से एक है, जहाँ गंगा, यमुना और मिथकीय सरस्वती नदियों के संगम पर लाखों लोग एकत्र होते हैं। यह एक ऐसा स्थान है जहाँ आस्था, संस्कृति, और समाज का एक अद्वितीय मिश्रण देखने को मिलता है। लॉरेन की भागीदारी इस महोत्सव को एक वैश्विक आयाम देती है, जिससे पश्चिमी और पूर्वी संस्कृतियों के बीच संवाद का एक नया अध्याय खुलता है।

 

आगे क्या: अपनी आध्यात्मिक यात्रा के बाद, लॉरेन पॉवेल जॉब्स, या कमला, फिर से अपने दैनिक जीवन में लौटेंगी, लेकिन इस अनुभव ने उन्हें एक नई दृष्टि और समझ दी है। उनका यह कदम सनातन धर्म के प्रति उनकी सम्मान और जिज्ञासा को दर्शाता है, जो कई लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हो सकता है।

 

महाकुंभ 2025 की यह कहानी न केवल एक व्यक्तिगत आध्यात्मिक यात्रा के बारे में है बल्कि वैश्विक समुदाय को एक साथ लाने और विविध संस्कृतियों की समझ बढ़ाने के बारे में भी है।

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