ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 की धारा 28: पंजीकृत ट्रेडमार्क स्वामी के विशेष अधिकार

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ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 की धारा 28: पंजीकृत ट्रेडमार्क स्वामी के विशेष अधिकार


Section 28 of the Trademarks Act, 1999: Exclusive rights of the registered trademark owner.


ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 का उद्देश्य ब्रांड, व्यापारिक पहचान, और सेवाओं को कानूनी सुरक्षा प्रदान करना है। इस अधिनियम की धारा 28 पंजीकृत ट्रेडमार्क स्वामी को विशेष और विशिष्ट अधिकार प्रदान करती है। यह धारा व्यापार की दुनिया में ब्रांड की वैधता और उसके उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

 

धारा 28 का मुख्य उद्देश्य

धारा 28 का मुख्य उद्देश्य पंजीकृत ट्रेडमार्क स्वामी को उनके ब्रांड के विशेष उपयोग और कानूनी संरक्षण का अधिकार प्रदान करना है। यह प्रावधान व्यापारिक प्रतिष्ठा और ग्राहकों के भरोसे को बनाए रखने के लिए बनाया गया है।

 

धारा 28 के तहत पंजीकृत ट्रेडमार्क स्वामी के अधिकार

1. विशेष उपयोग का अधिकार

पंजीकृत ट्रेडमार्क स्वामी को अपने ट्रेडमार्क का विशेष उपयोग करने का अधिकार दिया गया है।

यह अधिकार केवल उन्हीं वस्तुओं या सेवाओं पर लागू होता है जिनके लिए ट्रेडमार्क पंजीकृत किया गया है।

उदाहरण के लिए, यदि “ABC” नाम का ट्रेडमार्क एक इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी के लिए पंजीकृत है, तो केवल वही कंपनी इसे अपने उत्पादों पर उपयोग कर सकती है।

 

2. कानूनी सुरक्षा का अधिकार

यदि कोई अन्य व्यक्ति या व्यवसाय पंजीकृत ट्रेडमार्क का अनधिकृत उपयोग करता है, तो स्वामी को इसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार है।

अदालत में पंजीकृत स्वामी क्षतिपूर्ति, लाभ का लेखा-जोखा, या स्थायी निषेधाज्ञा की मांग कर सकता है।

 

3. बाजार में प्रतिस्पर्धा की रक्षा

धारा 28 यह सुनिश्चित करती है कि पंजीकृत ट्रेडमार्क का उपयोग केवल वैध स्वामी द्वारा किया जाए और बाजार में भ्रम या धोखा न हो।

यह नकली उत्पादों और अनधिकृत उपयोग के माध्यम से व्यवसाय की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने से रोकता है।

 

4. ट्रेडमार्क की विशिष्टता का अधिकार

पंजीकृत स्वामी का ट्रेडमार्क उनके उत्पादों और सेवाओं की अलग पहचान बनाता है।

अन्य कोई व्यक्ति इस ट्रेडमार्क को उपयोग करके ग्राहकों के बीच भ्रम पैदा नहीं कर सकता।

 

धारा 28 के तहत विशेष प्रावधान

1. एकाधिक पंजीकरण के मामले

यदि किसी ट्रेडमार्क का एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा पंजीकरण किया गया है, तो प्रत्येक पंजीकृत स्वामी अपने-अपने अधिकारों का विशेष उपयोग कर सकता है।

हालांकि, इन अधिकारों का उपयोग इस तरह नहीं किया जा सकता जिससे अन्य पंजीकृत स्वामी के वैध अधिकारों का उल्लंघन हो।

 

2. स्वामी की जिम्मेदारी

ट्रेडमार्क स्वामी पर यह जिम्मेदारी होती है कि वह अपने ट्रेडमार्क का उपयोग भ्रामक या धोखाधड़ी के उद्देश्य से न करे।

यदि स्वामी का उपयोग किसी अनुचित गतिविधि के लिए किया जाता है, तो उसका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।

 

3. विशेष परिस्थितियों में अपवाद

यदि कोई ट्रेडमार्क ऐसा है जो आम भाषा में प्रचलित हो गया है, या इसका उपयोग व्यापार के सामान्य तरीके से किया जा रहा है, तो यह अधिकार सीमित हो सकता है।

उदाहरण: यदि “Kleenex” नाम एक सामान्य उत्पाद का पर्याय बन जाए।

धारा 28 के कानूनी प्रावधान: व्याख्या और उपयोग

 

1. अनधिकृत उपयोग और कानूनी कार्रवाई

धारा 28 के अनुसार, यदि कोई तीसरा पक्ष बिना अनुमति के पंजीकृत ट्रेडमार्क का उपयोग करता है, तो यह उल्लंघन माना जाएगा।

उल्लंघन के मामलों में पंजीकृत स्वामी निम्नलिखित उपायों के लिए पात्र है:

स्थायी निषेधाज्ञा (Permanent Injunction): अदालत आरोपी को ट्रेडमार्क का उपयोग बंद करने का आदेश दे सकती है।

क्षतिपूर्ति (Damages): स्वामी को वित्तीय नुकसान की भरपाई की जाती है।

लाभ का लेखा-जोखा (Accounting of Profits): आरोपी द्वारा ट्रेडमार्क का उपयोग करके अर्जित अवैध लाभ की वसूली।

 

2. ब्रांड की प्रतिष्ठा की रक्षा

यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि पंजीकृत ट्रेडमार्क के उपयोग से उपभोक्ताओं के बीच कोई भ्रम न हो।

उदाहरण: यदि “Samsung” नाम का ट्रेडमार्क किसी नकली उत्पाद पर उपयोग किया जाता है, तो यह असली ब्रांड की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकता है।

 

3. उल्लंघन का अपवाद

धारा 28 के तहत कुछ परिस्थितियां हैं जहां ट्रेडमार्क के उपयोग को उल्लंघन नहीं माना जाएगा:

शिक्षण या अनुसंधान के लिए ट्रेडमार्क का उपयोग।

ट्रेडमार्क का ऐसा उपयोग जो व्यापारिक उद्देश्य के लिए न हो।

 

व्यवसायों के लिए धारा 28 का महत्व

1. ब्रांड की सुरक्षा

व्यापारिक दुनिया में ब्रांड किसी भी कंपनी की पहचान है।

धारा 28 सुनिश्चित करती है कि पंजीकृत ट्रेडमार्क का उपयोग केवल स्वामी द्वारा किया जाए और बाजार में नकली उत्पाद न फैलें।

 

2. ग्राहकों का भरोसा

पंजीकृत ट्रेडमार्क ग्राहकों के बीच भरोसा पैदा करता है।

यह सुनिश्चित करता है कि ग्राहक को गुणवत्ता और प्रामाणिकता का आश्वासन मिले।

 

3. प्रतिस्पर्धा में बढ़त

पंजीकृत ट्रेडमार्क किसी व्यवसाय को बाजार में एक प्रतिस्पर्धात्मक लाभ देता है।

यह व्यवसाय को उसके प्रतिस्पर्धियों से अलग पहचान प्रदान करता है।

धारा 28 से संबंधित प्रमुख न्यायिक उदाहरण

1. Cadila Healthcare Ltd. बनाम Cadila Pharmaceuticals Ltd. (2001)

इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंजीकृत ट्रेडमार्क का उपयोग अन्य कंपनियों द्वारा भ्रम पैदा करने के लिए नहीं किया जा सकता।

ब्रांड नाम और ट्रेडमार्क के बीच समानता उपभोक्ताओं को धोखा दे सकती है, जिसे कानून द्वारा संरक्षित किया गया है।

 

2. Amul बनाम Anmol (2007)

Amul ने अपने ब्रांड नाम के समान नाम “Anmol” के उपयोग पर आपत्ति दर्ज की।

अदालत ने फैसला दिया कि समान नाम उपयोग ग्राहकों को भ्रमित कर सकता है और इसे ट्रेडमार्क उल्लंघन माना गया।

 

ट्रेडमार्क स्वामी के लिए धारा 28 का दायरा

धारा 28 का दायरा व्यापारिक जगत में कई पहलुओं को कवर करता है:

1. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा:

पंजीकृत ट्रेडमार्क भारत और अन्य देशों में भी कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है।

 

2. बौद्धिक संपदा का अधिकार:

यह कानून ट्रेडमार्क को एक मूल्यवान संपत्ति के रूप में मान्यता देता है।

 

3. व्यवसाय विस्तार:

पंजीकृत ट्रेडमार्क स्वामी को अपने ब्रांड का लाइसेंस देने, हस्तांतरण, या फ्रैंचाइज़िंग का अधिकार देता है।

 

निष्कर्ष; ट्रेडमार्क अधिनियम, 1999 की धारा 28 पंजीकृत ट्रेडमार्क स्वामी को उनके ब्रांड का उपयोग और संरक्षण सुनिश्चित करने का कानूनी कवच प्रदान करती है। यह प्रावधान व्यवसायों को उनके ब्रांड की सुरक्षा और व्यापारिक प्रतिष्ठा बनाए रखने में मदद करता है।

व्यवसायों के लिए, धारा 28 यह संदेश देती है कि “आपका ट्रेडमार्क आपकी पहचान है। इसे पंजीकृत करवाना न केवल कानूनी आवश्यकता है, बल्कि यह आपके ब्रांड की दीर्घकालिक सफलता का आधार भी है।”

 

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