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लखनऊ। उत्तर प्रदेश में प्राथमिक स्कूलों में तैनात 1.42 लाख शिक्षामित्रों को सरकार ने नए साल का तोहफा दिया है। लंबे समय से शिक्षामित्रों की मांग थी कि उन्हें उनके मूल या समीप के स्कूल में स्थानांतरित करने की अनुमति दी जाए। इस मांग पर आखिरकार सरकार ने विचार किया और एक नई व्यवस्था के तहत स्थानांतरण प्रक्रिया को मंजूरी दे दी है। शासनादेश जारी कर दिया गया है, जिसके तहत शिक्षामित्रों को अब स्थानांतरित किया जाएगा।
शासनादेश में महत्वपूर्ण प्रावधान
शासनादेश के मुताबिक, पुरुष शिक्षामित्र या अविवाहित महिला शिक्षामित्र अपने वर्तमान विद्यालय में भी तैनात रह सकते हैं या फिर अपने मूल विद्यालय में स्थानांतरण के लिए आवेदन कर सकते हैं। यदि मूल विद्यालय में पद रिक्त नहीं है, तो ग्रामसभा/ग्राम पंचायत/वार्ड स्तर पर संचालित किसी अन्य स्कूल में भी शिक्षामित्रों को स्थानांतरित किया जा सकता है।
विवाहित महिला शिक्षामित्रों के लिए विशेष प्रावधान
विवाहित महिला शिक्षामित्रों को भी विकल्प दिया गया है कि वे अपने वर्तमान विद्यालय में रह सकते हैं या फिर पति के निवास प्रमाण पत्र के आधार पर उस स्थान पर स्थित प्राथमिक विद्यालय में पदस्थापित हो सकते हैं। यह स्थानांतरण उसी या अन्य जनपद में संभव होगा।
निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार होगा स्थानांतरण
जो शिक्षामित्र अपने कार्यरत विद्यालय में ही पदस्थापित होना चाहेंगे, उनके आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। अन्य स्थानांतरण/समायोजन के लिए प्राप्त आवेदन केवल जिला स्तरीय गठित समिति द्वारा भारांक व रिक्त पदों के आधार पर ही तय किए जाएंगे। यह प्रक्रिया ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC), लखनऊ द्वारा विकसित साफ्टवेयर पोर्टल पर होगी।
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी व खंड शिक्षा अधिकारी की जिम्मेदारी
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी मानव संपदा पोर्टल के आधार पर उन परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों की पहचान करेंगे, जहां शिक्षामित्र कार्यरत नहीं हैं। इन विद्यालयों में रिक्त शिक्षामित्र पद की संख्या का निर्धारण किया जाएगा।
इस नई व्यवस्था से शिक्षामित्रों को लंबे समय से चली आ रही समस्या का समाधान मिलेगा और वे अपने निकटतम या मूल विद्यालय में स्थानांतरित होकर कार्य कर सकेंगे। इस कदम से शिक्षामित्रों के समर्पण और उनके अधिकारों की रक्षा होगी।
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