UP Police भर्ती में बड़ा खुलासा: फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए भर्ती की कोशिश, आरोपी गिरफ्तार

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Noida: उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती-2023 के अंतर्गत गौतम बुद्ध नगर में दस्तावेज़ सत्यापन और शारीरिक मानक परीक्षण के दौरान एक अभ्यर्थी द्वारा धोखाधड़ी का मामला सामने आया। 30 दिसंबर 2024 को हुई इस घटना में बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन प्रक्रिया के दौरान एक अभ्यर्थी की असली पहचान उजागर हुई। उसने फर्जी नाम और दस्तावेजों का इस्तेमाल कर परीक्षा में भाग लिया था।

दस्तावेज़ सत्यापन के दौरान अभ्यर्थी ने अपना नाम “अभय सिंह” बताया और 10वीं तथा 12वीं के प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए। जांच में इन दस्तावेजों को संदिग्ध पाया गया। बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन और आयरिस स्कैनिंग के जरिए जब उसकी पहचान की गई, तो पता चला कि उसका असली नाम “अरविंद कुमार” है। पूछताछ में आरोपी ने स्वीकार किया कि वह वर्तमान में वाराणसी में आरक्षी पीएसी के पद पर तैनात है।

जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी ने दोबारा भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने के लिए फर्जी प्रमाणपत्र और दूसरी पहचान का उपयोग किया। उसने नए नाम और जन्मतिथि के साथ 10वीं और 12वीं की परीक्षा पास करने के फर्जी प्रमाणपत्र बनवाए थे। यह मामला बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन के दौरान तकनीकी उपायों की मदद से पकड़ा गया।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन और ई-केवाईसी जैसी तकनीकों का उद्देश्य भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाना है। इन तकनीकी उपायों की वजह से यह धोखाधड़ी उजागर हो सकी। आरोपी को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया और उसके खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। आरोपी पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज बनाने और सरकारी प्रक्रियाओं को प्रभावित करने के आरोप लगाए गए हैं। पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेकर आगे की जांच शुरू कर दी है।

यह घटना भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता और ईमानदारी के महत्व को रेखांकित करती है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि ऐसे मामलों में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस ने अन्य अभ्यर्थियों से अपील की है कि वे भर्ती प्रक्रिया में ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ भाग लें। किसी भी प्रकार की अनियमितता या फर्जी दस्तावेज का उपयोग करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

यह मामला आधुनिक तकनीकों की सफलता को भी दर्शाता है। बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन और आयरिस स्कैनिंग ने इस धोखाधड़ी को पकड़ने में अहम भूमिका निभाई। यह तकनीकी उपाय भर्ती प्रक्रिया को निष्पक्ष और विश्वसनीय बनाने में महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं। यह घटना समाज के लिए भी एक सबक है कि कानून और प्रक्रियाओं को धोखा देने का प्रयास अंततः असफल ही होगा। यह मामला न केवल ईमानदार अभ्यर्थियों के लिए न्याय की स्थापना करता है, बल्कि पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया की आवश्यकता को भी उजागर करता है।

भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस ने अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। तकनीकी उपायों को और अधिक मजबूत किया जाएगा ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता को तुरंत पकड़ा जा सके। इस घटना ने यह भी साबित किया है कि आधुनिक तकनीकें न केवल प्रक्रियाओं को निष्पक्ष बनाती हैं, बल्कि कानून के उल्लंघन को रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। पुलिस ने दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन देते हुए यह संदेश दिया है कि कानून के साथ किसी भी प्रकार का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

यह घटना अन्य अभ्यर्थियों के लिए एक चेतावनी है कि वे भर्ती प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से बचें। ईमानदारी और पारदर्शिता ही सफलता का आधार हैं, और इस घटना ने इसे साबित कर दिया है।

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