मुम्बई। भारतीय शास्त्रीय संगीत के अद्वितीय सितारे उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन हो गया है। 9 मार्च 1951 को मुंबई में जन्मे उस्ताद हुसैन ने अपनी बेमिसाल तबला वादन की कला से न केवल भारतीय संगीत को बल्कि पूरी दुनिया को मंत्रमुग्ध किया। उनका निधन सैन फ्रांसिस्को में इलाज के दौरान हुआ, और इस खबर ने संगीत प्रेमियों के दिलों में गहरी शोक की लहर दौड़ा दी है।
उस्ताद जाकिर हुसैन को उनके जीवनकाल में कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया था। इनमें 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण, और 2023 में पद्म विभूषण जैसे सम्मान शामिल हैं। इसके अलावा, उनकी असाधारण कला को तीन बार ग्रैमी अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया, जो उनकी वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा को दर्शाता है।
उनके पिता, उस्ताद अल्लाह रक्खा, खुद एक महान तबला वादक थे, जिनसे जाकिर हुसैन ने संगीत की बारीकियां सीखी। जाकिर हुसैन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के सेंट माइकल स्कूल और सेंट जेवियर्स कॉलेज से प्राप्त की, लेकिन उनका असली गुरु और प्रेरणा स्रोत उनका परिवार और विशेषकर उनके पिता थे।
भारतीय संगीत जगत ने एक असाधारण कलाकार को खो दिया है, जिनकी कला ने न केवल भारतीय बल्कि विश्वभर में संगीत की अनूठी धारा को आकार दिया। उनका संगीत हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेगा।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, “उस्ताद जाकिर हुसैन साहब के निधन से भारतीय संस्कृति की दुनिया में एक खालीपन आ गया है। उन्होंने अपनी उंगलियों से भारतीय तबले को वैश्विक मंच पर पहुंचाया और इसे एक नई पहचान दी। संगीत की इस महान हस्ती के जाने से संगीत प्रेमियों के दिलों में एक बड़ा शून्य उत्पन्न हुआ है।”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि दिवंगत आत्मा को शांति मिले और उनके परिवार एवं शिष्यों को इस दुख को सहन करने की शक्ति मिले।”
उस्ताद जाकिर हुसैन के योगदान को हमेशा याद किया जाएगा, और उनका संगीत सदियों तक संगीत प्रेमियों को प्रेरित करता रहेगा।
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