गाजीपुर। आईपीएस अमित कुमार और अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज रिश्वतखोरी की एफआईआर को लेकर विवाद गहरा गया है। गाजीपुर पुलिस ने 24 घंटे के भीतर इस एफआईआर को रद्द कर दिया। यह एफआईआर कोर्ट के आदेश पर दर्ज की गई थी, लेकिन पुलिस ने इसे गलत तथ्यों पर आधारित बताते हुए रद्द कर दिया।
गाजीपुर पुलिस के अनुसार, बर्खास्त सिपाही ने आईपीएस अमित कुमार समेत अन्य पुलिसकर्मियों पर रिश्वतखोरी का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी। गाजीपुर के पुलिस अधीक्षक इरज राजा ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह मामला तथ्यहीन पाया गया। उनका कहना है कि बर्खास्त सिपाही ने झूठी शिकायत कर पुलिस अधिकारियों को फंसाने की कोशिश की।
एफआईआर रद्द होने पर उठे सवाल
एफआईआर कोर्ट के आदेश पर दर्ज की गई थी, लेकिन इसे 24 घंटे के भीतर रद्द कर दिया गया। चौंकाने वाली बात यह है कि एफआईआर को बिना किसी विस्तृत जांच के ही रद्द कर दिया गया। इससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।
न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल
बिना जांच किए एफआईआर को रद्द करना न्याय प्रक्रिया के मानकों के विपरीत माना जा रहा है। मामले को लेकर स्थानीय स्तर पर चर्चा तेज हो गई है। नागरिकों और कानून विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए थी।
फिलहाल, पुलिस के इस कदम पर सवाल उठ रहे हैं और यह देखना होगा कि उच्च स्तर पर इस मामले में क्या निर्णय लिया जाएगा। यह मामला पुलिस की पारदर्शिता और निष्पक्षता के लिए एक चुनौती बन गया है।
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