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Meerut News:उत्तर प्रदेश के मेरठ में पुलिस की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के दो शूटर राहुल कुमार और महेंद्र कुमार, फर्जी पासपोर्ट के जरिए दुबई भाग गए। खुफिया विभाग की रिपोर्ट के बाद मामले का खुलासा हुआ, जिसमें पाया गया कि बिना एड्रेस वेरिफिकेशन के पासपोर्ट पर मुहर लगाई गई थी। मामले में जिम्मेदार सिपाही संदेश कुमार को निलंबित कर दिया गया है।
गुजरात की साबरमती जेल में बंद गैंगस्टर के ये गुर्गे मेरठ के फर्जी पते पर पासपोर्ट बनवाकर फरार हुए। आरोप है कि साइबर कैफे संचालक राजू वेद ने दोनों शूटरों के लिए फर्जी पासपोर्ट तैयार किया था। राजस्थान पुलिस की सूचना पर जांच हुई, जिसमें पुलिस की लापरवाही साबित हुई।
प्रयागराज की लापरवाही का उदाहरण:
ऐसे ही प्रयागराज में कुख्यात अपराधी अफसर जमील के देश छोड़ने का मामला भी चर्चा में है। 2004 में डॉक्टर कार्तिकेय शर्मा के अपहरण में शामिल अपराधी अफसर जमील जेल से छूटने के बाद 2008 से फरार चल रहा है। पुलिस की अनदेखी के कारण वह देश में आराम से आता-जाता रहता है। अपराधी अफसर जमील ने 2017 में भारत आकर कानपुर यूनिवर्सिटी से बीटेक मैकेनिकल इंजीनियरिंग की फर्जी डिग्री तक बनवाई और पासपोर्ट का पता भी बदलवा लिया। प्रयागराज पुलिस के लिए यह मामला आज भी चुनौती बना हुआ है। और तो और वर्ष 2008 से कोर्ट की कार्रवाई से लगातार फरार घोषित है कई गैर ज़मानती वारंट भी जारी हो चुके हैं और धारा 82 की कारवाई भी हो चुकी है। लेकिन आज तक यह भगोड़ा अपराधी पुलिस की पकड़ से दूर है।
कड़ी कार्रवाई की जरूरत:
ये घटनाएं पुलिस और खुफिया एजेंसियों की लापरवाही को उजागर करती हैं। फर्जी पासपोर्ट और अपराधियों की देश से फरारी जैसे मामलों में सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। जनता के सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कब तक निजी लाभ और प्रशासनिक चूक के चलते अपराधी कानून से बचते रहेंगे और देश से बाहर बैठकर आसानी से देश में वारदात को अंजाम देते रहेंगे?
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