चित्रकूट। जिले के थाना राजापुर ग्राम सुरसेन के मुस्लिम परिवार के पिता ने वर्ष 2013 में उसकी 15 वर्षीय नाबालिग पुत्री को अगवाकर भगा ले जाने पर उमादत्त गंगापारी निवासी ग्राम सूरसेन, चित्रकूट के विरुद्ध अगवाकर भगा ले जाने की एफ आई आर दर्ज कराई थी जिसमे उसी गाँव के अलीबक्स पर भगाने का आरोप था।
याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने न्यायमूर्ति मनोज बजाज को बहस में बताया कि पीड़िता बालिग थी ।याची व पीड़िता दोनो ही एक दूसरे से प्रेम करते थे । पीड़िता अपनी मर्जी से गई है।घटना के 2 दिन बाद देरी से एफ आई आर दर्ज कराई गई है। पीड़िता ने अपने बयान में कहा कि याची के साथ सहमति से 3 दिन तक खेतो में रहकर शारीरिक संबंध बनाए थे किसी ने बहलाया फुसलाया नही । परिवार रजिस्टर में पीड़िता की उम्र 21 वर्ष है ।मेडिकल में उम्र के बारे में कोई निष्कर्ष नही आया और न ही पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में कोई चोट आई है ।रेप का आरोप गलत है।
विद्यालय के रिकॉर्ड क्लास 2 के आधार पर पीड़िता की उम्र 17 वर्ष बताई गई। जिस पर पीड़िता को नाबालिग मानते हुए उसके द्वारा याची के पक्ष में दिया बयान पर विचार न करते हुए ,पीड़िता को नाबालिग मानकर निचली अदालत ने 10 साल की सजा करते हुए याची पर 1 लाख के अर्थदंड से दंडित किया और अलीबक्श को बरी कर दिया।
याची ने कोई भी अपराध नही किया है । याची ने कस्टडी प्रमाण पत्र प्रेषित किया है जिसमे ट्रायल के दौरान याची बेल पर था और अब सजा के बाद कुल लगभग साढ़े तीन साल से ज्यादा समय से जेल में है । जिस पर न्यायालय ने सजा स्थगित कर शर्तो के साथ जमानत मंजूर कर ली।
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