बताऊं कैसे तुम्हें ऐसे यार का नाटक, तमाम उम्र किया जिसने प्यार का नाटक

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रिपोर्टर / मौ. अज़ीम – अमरोहा 

मौज़ा गंगवार में अजीमुश्शान मुशायरे का आयोजन

 

हसनपुर। जामिया वेलफेयर सोसाइटी की जानिब से मौजा गंगवार में एक अजीमुश्शान मुशायरा “एक शाम उर्दू अदब के नाम” आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि चौधरी मुजाहिद हुसैन एडवोकेट, कन्वीनर क़ारी अकरम नवाज एवं सदर चमन हैदर बाकरी ने संयुक्त रूप से शमा रोशन की तथा कारी मौ० कासिम ने तिलावत ए कलाम ए पाक से प्रोग्राम का आग़ाज किया। मौलाना मौ० सदाकत, क़ारी कमरुल इस्लाम, हुजैफा नवाज, हाफिज फरमान अनवर, डॉ० फैसल शुजाअत ने नाते पाक पढ़ी।

नातिया दौर के बाद गजल का दौर शुरू हुआ। जिसमें शहाबुद्दीन सैफी ने अपना कलाम पेश करते हुए कहा- जुदाई लिखी खुदा ने तो फिर गिला किस से, अगर नसीब में होता तो हम सफर होता। निजामुद्दीन ‘निजाम’ ने कुछ यूं कहा- जिंदगी जिसकी भी एहले ज़र हो गई, ऐब पौशी उसी का हुनर हो गई। डॉ ० नदीम मलिक ने अपना कलाम इस तरह पेश किया- जो हाल आज‌ है दुनिया का वो नहीं होता, नबी के दीन पे कायम जो हर बशर होता। डॉ० फैसल शुजाअत ने अपना कलाम पेश करते हुए कहा – क्या कयामत आज ये दुनिया पे भारी हो गई , मां बहन भाई को छ

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