तिरुवनंतपुरम: केरल उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि स्कूल प्रिंसिपल द्वारा छात्रों को यूनिफॉर्म पहनने पर जोर देना किशोर न्याय अधिनियम के तहत क्रूरता नहीं है। न्यायाधीश ने कहा, “शिक्षक का उद्देश्य स्कूल के अनुशासन को बनाए रखना होता है, न कि बच्चे को मानसिक या शारीरिक पीड़ा पहुंचाना है।”
इस फैसले के साथ, त्रिशूर में भारतीय विद्या भवन स्कूल के प्रिंसिपल के खिलाफ एक मामला खारिज कर दिया गया है।केरल उच्च न्यायालय का यह फैसला स्कूलों में अनुशासन और यूनिफॉर्म ड्रेस कोड के महत्व को रेखांकित करता है। स्कूलों में यूनिफॉर्म पहनने का उद्देश्य बच्चों को समानता और अनुशासन की भावना से भरना होता है, न कि उन्हें किसी भी तरह की पीड़ा पहुंचाना है। किशोर न्याय अधिनियम, 2015 में बच्चों के अधिकारों और सुरक्षा के लिए विशेष प्रावधान हैं। इस अधिनियम के तहत, बच्चों के साथ क्रूरता और दुर्व्यवहार को गंभीरता से लिया जाता है, लेकिन इस मामले में न्यायालय ने प्रिंसिपल के कार्य को क्रूरता नहीं माना है।
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