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30 फीसदी ग्रामीण परिवारों को रोज़ाना 12 घण्टे से भी कम समय के लिए बिजली मिलती है: अध्ययन
मेरठ। हाल ही में हुए एक अध्ययन में सामने आया है कि उत्तर प्रदेश में बिजली की आपूर्ति एक समान नहीं है, यहाँ ग्रामीण क्षेत्रों को शहरी इलाकों की तुलना में गंभीर उपलब्धता और गुणवत्ता के मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है। तकरीबन 30 फीसदी ग्रामीण परिवारों को रोज़ाना 12 घण्टे से भी कम बिजली मिल पाती है, वहीं 60 फीसदी परिवारों को रोज़ाना 6 घण्टे से अधिक पावर कट झेलना पड़ता है। इसके विपरीत शहरों में आमतौर पर पावर कट 0-6 घण्टे की रेंज में होता है।
ओरेंज ट्री फाउन्डेशन द्वारा किए गए एक अध्ययन बिजली की आपूर्ति की उपलब्धता और गुणवत्ता को समझना (अंडरस्टैंडिंग द अवेलेबिलिटी एण्ड क्वालिटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई) में ये परिणाम सामने आए हैं। देश की 100 प्रतिशत विद्युतीकरण की उपलब्धि के बावजूद उत्तर प्रदेश के आठ जिलों- अलीगढ़, अमेठी आज़मगढ़, बलिया बरेली बुलन्दशहर लखनऊ और पीलीभीत को कवर करने
वाले अध्ययन में 320 उत्तरदाताओं की प्रतिक्रिया का अध्ययन किया गया जिससे पता चला कि ग्रामीण क्षेत्रों को आज भी भरोसेमंद और अच्छी गुणवत्ता की बिजली के लिए जूझना।पड़ता है। बिजली के संकट का प्रभाव बच्चों की शिक्षा स्वास्थ्य सेवाओं छोटे कारोबारों और।रोज़मर्रा की गतिविधियों पर पड़ता है जिससे प्रदेश के विकास में रुकावट पैदा होती है। मिस शोभना सिंह, रीसर्च लीड ओरेंज ट्री फाउन्डेशन ने कहा “हालांकि प्रदेश ने अपने घरों तक बिजली पहुंचाने की दिशा में उल्लेखनीय प्रयास किए हैं, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-4 (2015-16) में यह आंकड़ा 72.6 फीसदी था जो राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-5 (2019-21) में बढ़कर 97.6 फीसदी हो गया है।
इसके बावजूद उत्तर प्रदेश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति के बीच बड़ा अंतर है, फिर चाहे बात बिजली की उपलब्धता की हो या गुणवत्ता की। ग्रामीण इलाकों में अच्छी गुणवत्ता और भरोसेमंद बिजली की आपूर्ति न होने का असर आजीविका कृषि छोटे कारोबारों एवं अन्य ज़रूरी सेवाओं पर पड़ता है। ऐसे में इन असमानताओं को जल्द से जल्द हल करना और सभी को एक समान गुणवत्ता की बिजली उपलब्ध कराना बेहद ज़रूरी है।” अध्ययन के अनुसार उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में रोज़ाना औसतन 12 घण्टे तक का पावर कट रहता है, जबकि शहरी क्षेत्रों में 0-6 घण्टे तक का पावर कट होता है। इसके अलावा 58 फीसदी ग्रामीण परिवारों को शिकायत दर्ज करने के बाद बिजली आने के लिए 6 घण्टे से भी अधिक इंतज़ार करना पड़ता है, इसके विपरीत शहरों में इतना इंतज़ार तकरीबन 18 फीसदी लोगों को करना पड़ता है। 9 फीसदी ग्रामीण उपभोक्ताओं का कहना है कि शिकायत दर्ज करने के बाद एक घण्टे के अंदर बिजली आ जाती है, जबकि 24 फीसदी शहरी उपभोक्ताओं के अनुसार शिकायत दर्ज करने के बाद जल्द बिजली आ जाती है। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश के लगभग 22 फीसदी उपभोक्ताओं (शहरी और ग्रामीण दोनों) का कहना है कि उन्हें वोल्टेज में फ्लक्चुएशन का सामना करना पड़ता है, जिसकी वजह से उनके काम में रूकावट आती है और कई बार बिजली के अप्लायन्सेज़ खराब हो जाते हैं। खासतौर पर गर्मियों में या मानसून के दौरान जब लोड ज्यादा होता है। बार-बार पावर कट और वोल्टेज फ्लक्चुएशन का प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों की आजीविका पर पड़ता है, जहां खेती एवं अन्य छोटे कारोबारों के लिए भरोसेमंद बिजली का उपलब्ध होना बेहद ज़रूरी है।
उत्तर प्रदेश में बिजली की आपूर्ति एवं गुणवता की इन समस्याओं को दूर करने के लिए इन परिणामों को पॉलिसी मेकर्स, स्टेकहोल्डर्स और समुदाय के लीडरों तक पहुंचाना ज़रूरी है। उच्च गुणवत्ता की बिजली की भरोसेमंद आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए लक्षित नीतिगत हस्तक्षेप, इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के साथ-साथ इन सभी को एक साथ मिलकर काम करना होगा, तभी क्षेत्र में सभी लोगों के लिए एक समान विकास को सुनिश्चित किया जा सकता है।
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