दुनिया भारत की आत्मनिर्भरता के मॉडल को अपना रही – प्राचार्य

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लखनऊ। अटल बिहारी वाजपेई नगर निगम डिग्री कॉलेज लखनऊ में 17 सितम्बर से 2 अक्तूबर तक आयोजित होने वाले सेवा पखवाड़ा के अंतर्गत “आत्म निर्भर भारत चुनौतियां एवं समाधान” विषय पर संभाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। महाविद्यालय की छात्राओं ने मां सरस्वती की वन्दना एवं स्वागत गीत का गायन किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रख्यात शिक्षाविद्, अर्थशास्त्री प्रो. एम. के. अग्रवाल तथा निर्णायक मंडल के रूप में डॉ दीप नारायण पाण्डेय, विवेकानन्द केन्द्र एवं प्रो. राघवेन्द्र सिंह, राजनीति विज्ञान विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय उपस्थित रहे।

 

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ सुभाष चन्द्र पाण्डेय ने मुख्य अतिथि व निर्णायक मंडल को अंगवस्त्र, स्मृति चिन्ह तथा पुष्प चिन्ह प्रदान कर स्वागत किया तत्पश्चात प्राचार्य डॉ पाण्डेय ने अपने स्वागत उद्बोधन में अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान सरकार का उद्देश्य 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करना है। जिसके लिए हम सभी प्रयत्न कर रहे हैं। “आत्म निर्भर भारत चुनौतियां एवं समाधान” विषय पर संभाषण प्रतियोगिता में कुल आठ प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिसमे प्रियांसी सिंह बी. ए. द्वितीय वर्ष प्रथम स्थान, जयन वत्स बी.ए. तृतीय वर्ष द्वितीय स्थान, कार्तिकेय कक्कड़ बी. ए. प्रथम वर्ष ने तृतीय स्थान प्राप्त किया एवं आदित्य त्रिगुणायक बी. ए. प्रथम वर्ष व सोनी यादव बी. ए. प्रथम वर्ष ने सांत्वना पुरस्कार प्राप्त किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. एम. के. अग्रवाल ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विद्यार्थियो में सहभागिता के साथ ही साथ विचारों को पैनापन देना, नए विचार गढ़ना, गूथना आज पर्याप्त देखने को मिलता है। विकास के दो मॉडल हैं एक पश्चिम का मॉडल दूसरा पूर्व का मॉडल किंतु हमे भारत के मॉडल को अपनाना है। भारत का मॉडल संस्कृति, सभ्यता, पर्यावरण, कुटुंब, सबके प्रति दया का मॉडल है। भारत आज आत्मनिर्भर बन रहा है कोविड के समय में हमने दुनिया को वैक्सीन दिया, दुनिया को खाद्यान्न उपलब्ध कराया। आज भारत पिछले कुछ वर्षों से एक नया प्रयोग प्रारंभ किया है उत्पादन को बढ़ाना, लागत को कम करना यही आत्म निर्भर करता है। आज भारत पेट्रोल को पीछे छोड़ सोलर की ओर बढ़ रहा है, कृषि को उन्नत किया है। हमारा विकास पर्यावरण को बिना बर्बाद किए का मॉडल है। भारत किसी को तबाह नही करता हम सहयोग करते हैं। आत्म निर्भरता तब आ सकती है जब हम पर्यावरण का सरंक्षण करें, जल का सदुपयोग करें, जैव विविधता का संरक्षण करें, प्रकृति को संरक्षित करें भारत को भारत की परम्परा से विकसित करें हमारा उद्देश्य है विकास भी विरासत भी को आगे बढ़ाना।

 

निर्णायक मंडल के सदस्य प्रो राघवेन्द्र सिंह ने कहा कि यदि हमे आत्म निर्भर बनना है तो अपने स्व को समझें, अपनी संस्कृती को जाने, अपने इतिहास को जानें यही आज आवश्यक है। विवेकानंद केन्द्र से आए डॉ. दीप नारायण पाण्डेय ने कहा कि आत्मनिर्भरता के लिए प्रशासनिक रूप से, आर्थिक रूप से, पर्यावरण की दृष्टि से विचार करने की आवश्यकता है। विकसित भारत का अर्थ केवल नौकरी करना नही है हम अपने पारंपरिक रोजगार को भी अपनाएं। कार्यक्रम का संचालन हिन्दी विभाग के प्रभारी उपेन्द्र कुमार ने किया।

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