बरेली। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान आईवीआरआई ने पशु रोग उन्मूलन में एक नया कीर्तीमान स्थापित किया। संस्थान ने भेड़़ों में होने वाली बीमारी पीपीआर और शीपपाक्स का संयुक्त टीका तैयार किया। जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) नई दिल्ली के 96 वें स्थापना एवं प्रौद्योगिकी दिवस पर आयोजित समारोह में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा राजीव रंजन सिंह, केन्द्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री, जार्ज कुरियन, मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय में राज्य मंत्री, प्रोफेसर एस.पी. सिंह बघेल, मत्स्यपालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय में राज्य मंत्री, रामनाथ ठाकुर, माननीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री, भागीरथ चौधरी, माननीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री, डा. हिमांशु पाठक, सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भा.कृ.अ.प.) , श्री संजय गर्ग, अपर सचिव, डेयर एवं सचिव भा.कृ.अ.प. तथा श्रीमती अलका अरोड़ा, अपर सचिव एवं वित्तीय सलाहकार, डेयर, भा.कृ.अ.प. तथा आईवीआरआई के निदेशक डा. त्रिवेणी दत्त की गरिमामयी उपस्थिति में रिलीज किया गया।
पीपीआर और शीपपॉक्स अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग हैं जो मुख्य रूप से छोटे जुगाली करने वाले पशुओं, विशेष रूप से भेड़ों को प्रभावित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अस्वस्थता तथा मृत्यु भी हो जाती है और किसानों को काफी आर्थिक नुकसान होता है। दरअसल, पीपीआर (पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स) और शीप पॉक्स विषाणु जनित खतरनाक बीमारी है। यह बीमारी अक्सर भेड़ों में होती है। इस बीमारी के चपेट में आने पर भेड़ों को बुखार आता है। उनकी आंख और नाक से पानी बहने लगता है। मुंह के अंदर लालीपन हो जाता है। साथ ही शरीर में गांठें बनने लगती है, जिनसे रक्तस्राव होने लगता है। यदि समय पर टीका नहीं लगा है तो इस बीमारी का संक्रमण होने पर एक सप्ताह के भीतर भेड़ों की मौत हो जाती है।
इन रोगों से बचाने का मुख्य उपाय भेड़ों में टीकाकरण है। वर्तमान में पीपीआर और शीपॉक्स के लिए अलग-अलग टीके उपलब्ध हैं जो 3-4 साल तक सुरक्षा प्रदान करते हैं। भेड़ों में दोनों रोगों के लिए संयुक्त टीकाकरण से लागत, समय, श्रम की बचत तो होगी ही साथ ही साथ टीकाकरण से जानवरों के तनाव को काफी कम करने में मदद मिलेगी । इस संयुक्त टीके को स्वदेशी उपभेदों, पीपीआर सुंगरी/96 और शीप पॉक्स श्रीनगर 38/00 का उपयोग कर आईवीआरआई द्वारा विकसित किया गया है। इस तकनीक से पीपीआर और शीपपॉक्स रोग पर नियंत्रण के प्रयासों को कारगर बनाने की उम्मीद है।
संस्थान के इन 15 वैज्ञानिकों की टीम ने तैयार किया टीका
डॉ. डी. मुथुचेलवन; डॉ. भानुप्रकाश वी; डॉ. वी. ज्ञानवेल; डॉ. एम होसामनी; डॉ. वी. बालामुरुगन; डॉ. बी.पी. श्रीनिवास; डॉ. आर. पी. सिंह; डॉ. पी. धर; डॉ. आर. एन. रॉय; डॉ. एस. के. बंद्योपाध्याय; डॉ. राज कुमार सिंह; डॉ. एस. चंद्रशेखर; डॉ. अमित कुमार; डॉ. एम. ए. रामकृष्णन; डॉ. त्रिवेणी दत्तकृ षि विज्ञान केंद्र भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली ने आई.सी.ए.आर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का 96वा स्थापना दिवस के अवसर पर ग्राम सिमराबोरिपुर ब्लाक क्यारा में आयोजित किया।
इस कार्यक्रम में डॉ एच. आर. मीणा, अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र ने कृषको को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के कृषको के फसलों, दलहनों, तिलहनों, पशु विज्ञान एवं बागवानी के क्षेत्रो में किए गए योगदानों की जानकारियाँ दी। वाणी यादव ने कृषि विज्ञान केंद्र में चल रहे विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमो की जानकारी दी। आर एल सागर ने कृषको को धान की उन्नत खेती की जानकारी दी तथा दलहन, तिलहन को फसल चक्र में शामिल करने की बात रखी। डॉ शार्दूल विक्रम लाल पशु विज्ञान विशेषज्ञ ने कृषको को पशुओ की उत्तम नसल के लाभ, आहार प्रबंधन, दुधारू पशुओ के पैदा हुए हुए बच्चों के रख रखाव व मुर्गी पालन से संबन्धित जानकारी प्रदान की। कार्यक्रम का संचालन श्री डी डी शर्मा सहायक मुख्य तकनीकी अधिकारी ने किया। इस कार्यक्रम में 45 कृषको ने प्रतिभागिता की एवं कृषि विज्ञान केंद्र के समस्त अधिकारी उपस्थित रहे ।
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