14 साल बाद बरेली दंगो पर न्यायालय का स्वतः संज्ञान, कोर्ट ने तौकीर रजा को माना दंगों का मास्टर माइंड

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अब 14 संगीन धाराओं में मौलाना पर चलेगा मुकदमा,

न्यायालय से समन जारी, 11 मार्च को होगी मौलाना की पेशी, 

तत्कालीन पुलिस प्रशासन ने दंगों के समय नहीं उठाए उचित कदम, सरकार के दबाव में काम किया 

भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने किया न्यायालय के निर्णय का स्वागत


बरेली। वर्ष 2010 और 2012 के बरेली दंगों का न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेकर ऐतिहासिक निर्णय सुनाया है। न्यायालय ने माना कि 14 साल पहले बरेली में हुए दंगों के पीछे आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रज़ा की मुख्य भूमिका थी। उन्होंने धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाले भाषण देकर जनता के बीच नफरत की दीवार खड़ी की और शांतिपूर्ण बरेली को दंगो की आग में झोंक दिया। न्यायालय ने उस समय के दंगो में जान माल के नुकसान के लिए मौलाना तौकीर रज़ा के नफरत से भरे भाषणों को जिम्मेदार ठहराया। फिलहाल बरेली दंगो में स्थानीय न्यायालय ने मौलाना तौकीर रजा खां पर 14 गंभीर धाराओं में मुकदमा चलाने के निर्देश दिया। इस मामले मे 11 मार्च को आईएमसी प्रमुख को न्यायालय में तलब किया गया है।
वर्ष 2010/12 में मौलाना तौकीर रज़ा खां के नफरत से भरे भाषणों के बाद बरेली के गुलाबनगर और चाहबाई समेत विभिन्न इलाकों में दंगा भड़क उठा था। मौलाना के समर्थकों के साथ ही वर्ग विशेष के असामाजिक तत्वों और दंगाईयों ने हिन्दुओं की दुकानो में आग लगा दी थी। उस मामले में 14 साल साल बाद अपर सत्र न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की। अपर सत्र न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने केस के विवेचक सुभाष यादव, समेत अन्य गवाहों के बयान के आधार पर सुनाए गए अपने फैसले में कहा कि दो मार्च 2010 को करन सिंह थाना प्रभारी प्रेमनगर ने इस दंगे में शामिल 178 नामजद और हजारों अज्ञात लोगों को मुक़दमे में नामजद किया था। एफआईआर में तत्कालीन थाना प्रभारी की ओर से बताया गया है कि बड़ी संख्या में एक धार्मिक समुदाय के लोगों ने बरेली के गुलाबनगर चाहबायी समेत विभिन्न इलाकों में आगजनी करते हुए ईट पत्थर और हथियार लेकर शांतिपूर्ण बरेली को किस तरह से दंगो की आग में झोंककर शान्ति को छिन्न भिन्न कर दिया। चारो तरफ दहशत का माहौल बनाया गया। तत्कालीन एडीएम सिटी राम मोहन सिंह, सिटी मजिस्ट्रेट मनोज कुमार, एसपी सिटी राकेश जौली सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंचे। तब बलवाई अल्लाह ओ अकबर, मार डालो, काट डालो जैसे नारे लगा रहे थे। इन दंगो में तत्कालीन सीओ आंवला पीएस पांडेय और एसओ राजेश कुमार को चोटें भी आईं। तत्कालीन जिलाधिकारी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए बरेली में कर्फ्यू लगा दिया था। भारी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई थी।
रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट ने केस डायरी नंबर (5) कहा कि दो मार्च 2010 को आईएमसी अध्यक्ष मौलाना तौकीर रज़ा खां ने घटनास्थल पर पहुंच कर पुलिस प्रशासन और हिंदुओं को यह कहकर ललकारा कि आधे घंटे तक चाहबाई से आधे घंटे में जुलुस को नहीं जाने दिया गया तो अंजाम अच्छा नहीं होगा। हिन्दुओं के खून की नदियां बहा दूंगा। हिन्दुओं के घर और दुकानों को तहस नहस कर उनमें आग लगा दूंगा। केस डायरी नंबर छह के तहत मौलाना तौकीर रज़ा खां को दंगे के मुख्य साजिशकर्ता के तौर पर भारतीय दंड संहिता की धारा 147,148,149,307, 332, 336, 436,427, 152,152 क , 295, धारा 7 सीएल एक्ट तथा धारा 3 लोक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। विवेचक सुभाष यादव, पीडब्ल्यू गवाह राम निवास शर्मा, ताहिर हुसैन समेत अन्य गवाहों के बयान के आधार पर अपर सत्र न्यायालय ने यह भी कहा कि तत्कालीन एसपी, उप पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस महानिरीक्षक बरेली जोन, तत्कालीन डीएम और कमिश्नर और शासन स्तर से उच्च अधिकारियों ने विधिक रूप से कार्य न करके सत्ता के इशारे पर बरेली दंगो के मुख्य मास्टर माइंड मौलाना तौकीर रज़ा का सहयोग किया।

बहादुर योद्धा की तरह दंगा पीड़ितों के साथ खड़े रहे राजेश अग्रवाल

उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल वर्ष 2010/12 के दंगों से लेकर अब तक एक वीर योद्धा की तरह दंगा पीड़ितों के साथ खड़े रहे। उन्होने दंगों के समय भी कालीबाड़ी में हिंदू समुदाय को इकट्ठा करके मौलाना तौकीर रज़ा को करारा जवाब दिया था। उसके बाद पीड़ितों के पक्ष मे न्यायालय में हर संभव पैरवी की। पांच मार्च 2024 को जब न्यायालय का निर्णय आया तो उसका स्वागत करते हुए पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि बरेली नाथ नगरी और आला हजरत का शहर है। यहां हिंदू मुस्लिम मिलकर शांतिपूर्ण तरीके से रहते आए हैं। वर्ष 2010 के पहले बरेली में कभी दंगा नहीं हुआ।
14 साल पहले के दंगों के लिए मौलाना तौकीर रजा पुरी तरह से ज़िम्मेदार हैं। भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष ने कहा कि लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही मौलाना तौकीर ने कुछ दिन पहले एक बार फिर से बरेली को दंगों में झोंकने की साजिश रची थी। मगर, इस बार योगी सरकार की सतर्कता से वह साजिश कामयाब नही हो पाई।
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